माननीय प्रधानमंत्री जी,
आपकी चुप्पी हम सभी राष्ट्रवादियों को बहुत ही गहरी पीड़ा दे रही है,
आपकी चुप्पी से देशविरोधी तत्वों की ताकतें बढ़ रही है,
आपकी चुप्पी से देश की छवि को बदनाम करने की साजिश सफल होती दिख रही है,
आखिर कब आप अपने मौन को तोड़ेंगे..???
देश पहले ही 10 वर्षों तक एक मौन प्रधानमंत्री की नाकामियों को झेल चुका है, अब कृपया आप उस रास्ते पर मत चलिए।
हमें वो ही 2002 वाले नरेंद्र मोदीजी चाहिए जो गलत तत्वों को एक पल के लिए भी बर्दाश्त नही कर सकते थे,
हमें वो ही 2014 वाले नरेंद्र मोदीजी चाहिए जिन पर विश्वास करके हमने इस देश की बागडोर सौंपी थी,
हमें वो ही नरेंद्र मोदीजी चाहिए जो इस देश को किसी के सामने भी नही झुकने देंगे।
प्रधानमंत्री जी सहने की भी एक सीमा होती है जो आज पार हो चुकी है। ये बात सत्य है कि, “क्षमा वीरों का आभूषण है” लेकिन प्रधानमंत्री जी कभी कभी आभूषण भी शरीर पर घाव उत्पन्न कर देते है, ऐसे में उन आभूषणों को उतार फेंकना चाहिए।
श्रद्धेय अटल जी ने भी कहा था….
“अत्याचारी ने आज पुनः ललकारा,
अन्यायी का चलता है, दमन-दुधारा।
आँखों के आगे सत्य मिटा जाता है,
भारतमाता का शीश कटा जाता है॥
आखिर सहने की भी सीमा होती है,
सागर के उर में भी ज्वाला सोती है।
मलयानिल कभी बवंडर बन ही जाता,
भोले शिव का तीसरा नेत्र खुल जाता॥”
इसलिए आपसे निवेदन है माननीय प्रधानमंत्री जी कृपया ऐसे अराजक तत्वों को दंडित कीजिए और देश को पुनः 2002 वाले नरेंद्र मोदीजी लौटा दीजिए।
अगर आज की घटना के बाद भी आप मौन रहते है तो यकीन मानिए इस देश में अब ऐसी परम्परा की शुरुआत हो जाएगी जो इस देश के लिए ही घातक सिद्ध होगी।
जय हिंद
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