पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा के बीच हालात इतने खराब हो गए हैं कि वहां रहे हिंदुओं को अपना घर बार छोड़कर पलायन करना पड़ रहा है, बीजेपी कार्यकर्ताओं को अपना और अपने परिवार की जान बचाने के लिए बंगाल छोड़ना पड़ रहा है . हालात ये हैं कि हमलों से घबरा कर बीजेपी के तकरीबन 400 बीजेपी कार्यकर्ता बंगाल छोड़ असम चले गए हैं। चुनाव बाद हुई हिंसा से पीड़ित कई परिवारों को असम में शरण लेना पड़ा हैं. हिंसा के बाद घर छोड़ने को मजबूर बंगाल के सैकड़ों नागरिकों ने असम के राहत शिविरों में शरण ले रखी है।
इसी कड़ी में शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जदगीप धनखड़ असम के अगोमानी इलाके का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उन्हें संत्वाना दी । इस दौरान एक बुजुर्ग उनसे लिपटकर रोने लगा। ANI ने राज्यपाल के दौरे की कुछ तस्वीरें साझा की है, जिसमें दिख रहा है कि एक बुजुर्ग राज्यपाल धनकड़ को पकड़कर रो रहा है। वो राज्यपाल से हिंसा वाली कहानी बयां करते-करते रोने लगा।
इसके अलावा राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने रणपगली में बने कैंप में भी पीड़ितों से मुलाकात की। जहां कई लोगों ने अपनी आपबीती राज्यपाल सुनाई. इस दौरान कई महिलाएं इतनी भावुक हो गईं कि वे राज्यपाल के पांव से लिपट फूट-फूट कर रोने लगीं। इसके बाद राज्यपाल कोकराझार के श्रीरामपुर कैंप भी गए। शिविर में रह रहे लोगों ने दावा किया है कि उन्होंने दो मई को चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से बंगाल में अपने घर छोड़ दिए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि “तृणमूल कांग्रेस के गुंडों” ने उनके घरों में तोड़-फोड़ की।
इससे पहले गुरुवार को भी राज्यपाल ने हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने हिंसा से प्रभावित लोगों से मुलाकात भी की थी। उन्होंने कहा था कि ‘मैं किसी भी हालत में बिना किसी रूकावट के अपने संवैधानिक कर्तव्यों को निभाऊंगा। देश कोविड की चुनौती से जूझ रहा है। पश्चिम बंगाल को महामारी और चुनाव बाद हुई हिंसा की दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।’ उन्होंने कहा कि यह हिंसा केवल इस आधार पर हो रही है कि कुछ लोगों ने अपनी मर्जी से वोट डालने का फैसला लिया।
राज्यपाल के दौरे पर सियासत भी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री ने बुधवार को उन्हें पत्र लिखकर दावा किया कि चुनाव बाद की हिंसा से प्रभावित कूच बिहार जिले का उनका दौरा नियमों का उल्लंघन करता है जबकि धनखड़ ने यह कहते हुए पलटवार किया कि वह संविधान के तहत अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं. जाहिर है जिन लोगों पर TMC के गुंडे हमले कर रहे हैं उनका दोष केवल इतना था कि इनलोगों ने TMC को वोट नहीं दिया जिसकी वजह से उनपर हमले हो रहे हैं उन्हें अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रहना पड़ रहा है। ऐसे में सबको सबको सोचना होगा कि बंगाल जिस रास्ते की तरफ जा रहा है वह देश के लिए ठीक नहीं है।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.