हिंदी का मान बढ़ाते हुए मनाया प्रथम स्थापना दिवस अश्रुतपूर्वा टीम ने…
विश्व वर्णशंकर हो रहा है अश्रुतपूर्वा के स्थापना दिवस पर बोले श्री मधुकर उपाध्याय
दिल्ली : कांस्टीट्यूशन क्लब दिल्ली में शुक्रवार शाम अश्रुतपूर्वा संस्था का प्रथम स्थापना दिवस का भव्य आयोजन हुआ, संस्थापिका सुश्री सांत्वना श्रीकांत तथा सह संस्थापिका लिली मित्रा के नेतृत्व में हुए इस आयोजन का मुख्य विषय “सामाजिक मूल्यों का संकट और युवा वर्ग” था जिस पर सभी वक्ताओं ने अपने उत्कृष्ट विचार रखे, आयोजन की अध्यक्षता प्रसिद्ध पत्रकार तथा लेखक श्री मधुकर उपाध्याय जी ने की, आयोजन की शुरुआत माता सरस्वती का दीप प्रज्ज्वलित करके की गई, प्रसिद्ध आलोचक राजेंद्र प्रसाद पांडेय जी ने महाभारत के वाकियो के साथ साथ रामायण में मेघनाथ की पत्नी सुलोचना के वर्तांत का जिक्र करते हुए भावों को प्रकट किया और मानवीय गुणों की अनुभूति से परिचय करवाया, वहीं मधुकर उपाध्याय जी ने आज के युवाओं के दृष्टिकोण का जिक्र करते हुए नजरिए पर बहुत ही शानदार उदाहरण देते हुए अपनी बात को रखा ।
आज के दौर युवा वर्ग में संयम की कमी को बताते हुए सफलता के मुकाम को अपने लहजे से हासिल करने की होड़ को बताते हुए उपाध्याय जी ने मन से समर्पित होकर कार्य करने पर जोर दिया तथा अपने अनुभव को दर्शाते हुए संयम से कार्य करने पर सफलता प्राप्त ही होगी इस बात पर जोर दिया, वक्ताओं में सभी ने अपने अपने ढंग से सामाजिक मूल्यों और आज के युवा के दृष्टिकोण को बखूबी तरीके से परिभाषित किया । अन्य वक्ताओं में चंद्रिका चंद्र जो कि एक प्रसिद्ध लेखक है उन्होंने भी अपनी बात आज के युवाओं को केंद्रित करते हुए कही वहीं प्रसिद्ध लेखक श्री ज्योतिष जोशी जी ने आत्मबल पर युवाओं को मजबूत होकर कार्य करने को प्रेरित किया ।
साहित्यिक संस्थाओं, पोर्टल्स और ई पत्रिकाओं की भीड़ में अश्रुतपूर्वा ने एक साल में ही अपनी एक अलग पहचान बनाई है… जिस दौर में नवयुवकों को अंग्रेज़ी की चकाचौंध अपनी चमचमाती रोशनी से इतर कुछ सोचने तक नहीं देती वहीं पेशे से डॉक्टर सांत्वना श्रीकांत ने हिंदी को पोषित करने का बीड़ा उठाया हुआ है , और www.ashrutpurva.com नामक वेबसाइट के माध्यम से वह हिंदी के विद्वानो के साथ नए लेखकों को मंच प्रदान करती हैं..
अश्रुतपूर्वा (जो पहले कभी सुना ना गया हो) के प्रथम स्थापना दिवस पर कॉन्स्टिटूशनल क्लब में शानदार आयोजन के लिए सांत्वना जी, लिली जी तथा पूरी अश्रुतपूर्वा टीम ने अथाह मेहनत कर आयोजन को सफल बनाया ।
अश्रुतपूर्वा नामानुरूप ही अच्छी पहल, चमक खोती विश्व की बड़ी आबादी द्वारा बोली जाने वाली भाषा हिंदी के संरक्षण हेतु , यद्यपि तथाकथित सभ्रांत वर्ग ही नहीं अपितु निम्न मध्यम वर्ग भी हिंदी की जगह टूटी-फूटी अंग्रेजी बोलने को प्राथमिकता देता है क्योंकि उसे लगता है इससे उसका स्तर बढ़ेगा।
www.ashrutpurva.com हिंदी साहित्य के लिए एक अच्छा मंच है डिजिटल युग में, जहाँ किताबों पर अंतर्जाल को प्राथमिकता दी जाती है। इसके लिए सांत्वना जी व टीम बधाई के पात्र हैं। वक्ताओं में हिंदी के अनेक ध्वजवाहक थे । पांचजन्य हिंदी के पूर्व सम्पादक व पूर्व सांसद मुख्य अतिथि व अन्य गणमान्य लोग भी जिन्होंने युवाओं, समाज व हिंदी को लेकर अपने विचार रखे ।
मध्यप्रदेश के स्पीकर श्री गिरीश गौतम, पूर्व राज्यसभा सांसद तथा पाँचजन्य के सम्पादक श्री तरुण विजय जी, तथा अन्य गणमान्य अतिथियों के विचारों को एक मंच उपलब्ध करवाया गया ।
आए हुए मेहमानों के जलपान की व्यवस्था के बाद अश्रुत पुस्तक की ई – बुक का लोकार्पण किया गया । आयोजन के समापन में धन्यवाद भाषण सुश्री सांत्वना श्रीकांत द्वारा दिया गया जिसके तहत अश्रुतपूर्वा द्वारा पिछले एक साल में एक एक कदम बढ़ाकर जो आज मुकाम हासिल किया उसकी सफलता की कहानी सभी के सामने रखी, शुरुआत में आई छोटी छोटी समस्याओं के बाद आज एक वर्ष बाद प्रथम स्थापना दिवस मनाए जाने पर खुशी जताते हुए सभी का बहुत बहुत धन्यवाद दिया, जिन्होंने निस्वार्थ भाव से पिछले एक वर्ष में स्नेह लुटाया और विचारों को पसंद करते हुए हौसला अफजाई की । जिसमे सभी मेहमानों को और वक्ताओं ने अपना कीमती समय निकालकर आयोजन में उपस्थिति दर्ज करवाई उसके लिए धन्यवाद ज्ञापित किया । आयोजन का संचालन श्री राजेश्वर वशिष्ठ ने किया ।
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