रिपब्लिक भारत के चीफ एडिटर को रायगढ़ पुलिस महाराष्ट्र ने 2018 के एक बंद हुए केस की फाइल को खोलकर आनन फानन में गिरफ्तार कर लिया। 

अभिव्यक्ति की आजादी का रोना रोने वाले अर्बन नक्सली अब चुप बैठे हुए है अगर ऐसी कुछ घटना किसी अन्य चैनल के साथ खासकर NDTV , BBC के पत्रकार के साथ हुई होती तो अब तक लोकतंत्र खतरे में आ चुका होता, सरकार से इस्तीफे की पेशकश हो जाती। 

तमाम लिबरल ट्वीट पर ट्वीट कर देते लेकिन यह मामला एक उस चैनल के चीफ एडिटर का है जिसने महाराष्ट्र सरकार को एक्सपोज करके रख दिया है। अर्नब गोस्वामी की अवैध तरीके से गिरफ्तारी लोकतंत्र की हत्या है। 

बात संविधान की करे तो आर्टिकल 356 मे साफ लिखा है कि भारत के संविधान मे केन्द्र की केन्द्र सरकार ही सुप्रीम है यदि केन्द्र सरकार को लगता है कि भारत की कोई भी राज्य सरकार मनमानी तरीके से शासन चला रही,संविधान के साथ खिलवाड कर रही तब केंद्र-राष्ट्रपति ऐसे राज्य सरकार को बर्खास्त कर सकते है। 

प्रश्न यह है कि गृह मंत्री अमित शाह ट्वीट करके कहते है कि यह घटना आपातकाल की याद दिला रहा है फिर भी ऐसी क्या मजबूरी है जो केन्द्र सरकार राष्ट्रपति शासन नही लगा सकती !

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