इन दिनों झारखंड में स्कूलों का धड़ल्ले से इस्लामीकरण किया जा रहा है. लेकिन अब ये बिहार तक पहुंच गया है. झारखंड के बाद बिहार के भी कुछ स्कूलों में अब मनमाने तरीके से नियम लागू किए जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक किशनगंज जिले में वहां के स्थानीय लोगों ने सरकारी नियमों को तोड़ते हुए स्कूलों पर मनमाने नियम थोप दिए हैं। इस जिले में 19 स्कूल ऐसे हैं जहां की मुस्लिम आबादी ज्यादा होने की वजह से साप्ताहिक छुट्टी रविवार से बदलकर अब शुक्रवार कर दी गई है और जुमा अवकाश बना दिया गया है। वहीं रविवार को इन स्कूलों में पढ़ाई कराई जाती है।

शिक्षा विभाग का मानना है कि मुस्लिम बहुल इलाका होने और स्कूलों में अल्पसंख्यक छात्रों की संख्या ज्यादा होने की वजह से ऐसी परंपरा शुरुआत से चली आ रही है। लेकिन इस संबंध में कहीं से कोई आदेश नहीं दिया गया है। अल्पसंख्यक छात्रों की संख्या ज्यादा होने के कारण इन स्कूलों में शुक्रवार को नमाज पढ़ने की छुट्टी दी जा रही है। जबकि ये स्कूल उर्दू स्कूल भी नहीं है। स्कूल के प्रिंसिपल के मुताबिक यह स्कूल हिंदी स्कूल है और यहां मुस्लिम छात्रों की संख्या 80 फीसदी से ज्यादा है। प्रिंसिपल ने कहा कि स्कूल के स्थापना काल से ही इन स्कूलों में शुक्रवार को नमाज अदा करने के नाम पर अवकाश रहता है और रविवार को पढ़ाई होती है।

साभार-ट्वीटर

वहीं किशनगंज के जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष कुमार गुप्ता ने कहा कि जिले के अल्पसंख्यक इलाके के स्कूलों में पुरानी परंपरा के अनुसार यह नियम लागू कर दिया गया है। इन स्कूलों में शुक्रवार को छुट्टी और रविवार को पढ़ाई कराई जा रही है। जबकि इस संबंध में कोई सरकारी आदेश भी नहीं दिए गए है। शिक्षा विभाग के डीपीओ शौकत अली का कहना है कि जिले में कोई अल्पसंख्यक स्कूल नहीं है, जिन स्कूलों में शुक्रवार को छुट्टी और रविवार को पढ़ाई होती है वो सभी सामान्य स्कूल हैं।

दरअसल किशनगंज बिहार का एक मात्र मुस्लिम बहुल जिला है. साथ ही किशनगंज देश का अकेला लोकसभा क्षेत्र है जहां 70 फीसदी मुस्लिम आबादी है. कुछ रिपोर्ट बतातें हैं कि इस जिले में इतने बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए बस चुके हैं कि अब यहां कुछ ही हिस्सों में हिंदू बचे हैं. इस कारण इस जिले में कट्टरवादी तत्वों की पकड़ मजबूत होती जा रही है।

लेकिन जिस तरह से स्कूली शिक्षा में तुष्टिकरण घुसती जा रही है वो कहीं से भी ना तो शिक्षा के लिए सही है ना ही देश के लिए …

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