6 January 2016 को भारत में एक वेब पोर्टल का आरम्भ हुआ जिसे नेटफ्लिक्स कहते है आप इसे अपने स्मार्टफोन या लैपटॉप में एक्सेस कर सकते है बस आवश्यकता है आपको इस एप्लीकेशन के सब्सक्रिप्शन की बस इतना ही तो करना है मैंने सही कहा ना …

नेटफ्लिक्स का अपना एक एजेंडा

इस प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स में आधे से अधिक प्रोग्राम काल्पनिक है पर ऐसा ही क्यों होता है की ये अपने हर वेब सीरीज मे सनातन धर्म की संस्कृति को सनातन धर्म को को निशाना बनाते आ रहे है अब इसे इनका एक छुपा हुआ एजेंडा नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे आप ही बताइये और ये भारत के युथ को ही टारगेट कर रहे है ये बड़ी बात है और बिना किसी डर के अपना काम कर रहे है…

अश्लीलता को बढ़ावा देना

जी हाँ बिलकुल ये अपसंस्कृति और अश्लीलता को बढ़ावा दे रहे है और इसमें इनका तर्क बड़ा अजीब और हास्यपद है की असली जीवन भी ऐसा ही है जिससे लोग एग्री कर लेते है और पसंद भी कर रहे है, पर भारत की संस्कृति जिसका पिछले १ अरब ९६ करोड़ ८ लाख ५३ हज़ार १२१ वर्ष का इतिहास रहा है उसमे अश्लीलता नाम की कोई चीज़ नहीं है ये सब भारत मे मुगलो के आगमन पे हुआ था और इनकी वेब सीरीज देखने से लगता है की ये सब उनकी के नाजायज़ वंशज है

पर शायद नेटफ्लिक्स यही चाहता है की लोगो की सोच को बदल देंगे तो देश अपने आप बदल जायेगा…..हां ये १००% सच है कि नेटफ्लिक्स और वेबसेरिएस अश्लीलता फैला रहे है भारत मे, नेटफ्लिक्स तो आया ही इसी सोच को लेके भारत में लोगो की सोच बदल देंगे और सबको इनके अपने धर्मं से भ्रस्ट कर देंगे और बताएंगे कि सनातन धर्म कितनी अश्लीलता से भरा हुआ है.जबकि सब कुछ गलत दिखाया जा रहा है,

और रही बात वेब सीरीज की उनको हिंदी ब्लू फिल्म कहा जा सकता है ऑडियो और विसुअल के साथ
मैं तो नाम से पता कर लेता हु की वेब सीरीज में कितनी अश्लीलता से भरी हुई है नेटफ्लिक्स और वेब सीरीज दोनों ही अश्लीलता परोस रहे है और टीनएजर्स और एडल्ट्स को सपने दिखा रहे है की हर लड़की और महिला सेक्स के लिए तैयार रहती है और लड़कियों को बताते है की उनके माँ-बाप झूठ बोलते है जो तुम्हारा लवर है वही सही है…. क्योंकि अश्लीलता धड़ाधड़ बिक रही है. कई लोग हैं, जिन्हें वही सब चाहिये. ऐसे में यह सब परोसने वाले अपना धंधा चमका रहे हैं तो हैरत किस बात की ? और चूंकि देश में टीवी पर प्रक्षेपित कार्यक्रमों पर एक आचार संहिता मौजूद है, और वेब सीरीज़ के लिये ऐसी कोई समीक्षक और निर्देशक संस्था नहीं है, यह लोग बेहद गिर रहे हैं और सभ्य लोग इस पर कुछ नहीं कर पा रहे. वे चाहें तो ये सब ना देखें, पर इसे रोक पाना फिलहाल मुश्किल ही लगता है

चेतावनी : - जी, बिलकुल अल्ट बालाजी और एमएक्स प्लेयर तो साफ विशुद्ध अश्लीलता वाले सीरीज बना रहे, अपने घर के बच्चों का ख्याल रखें, एमएक्स प्लेयर, जिओ मूवी जैसे ऐप में मुख्य फीड में ही अश्लील कंटेंट भरे होते है

नेटफ्लिक्स पर सेंसर नहीं है क्यूँ ?

भारत में प्रदर्शित होने वाली सभी फिल्में और टीवी सीरियल सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के द्वारा पास होती है, परन्तु नेटफ्लिक्स, होटस्टर , अमेजन प्राइम वीडियो और ऑनलाइन कंटेंट आदि की स्ट्रीमिंग पर अभी कोई सेंसरशिप का नियम नहीं है… जिसका फायदा उठा कर बहुत से सेक्सुअल कंटेंट सहित वेब सीरीज आए दिन स्ट्रीम हो रही हैं, जिसका बुरा प्रभाव कम उम्र के बच्चो पर पड़ रहा है १८ साल से कम उम्र के

भारत सरकार को इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने चाहिए। फ़्री स्पीच और मीडिया की स्वतंत्रता के साथ साथ अवांछनीय कंटेंट की रोक लगाना भी जरूरी है.

विदेशी ही नहीं देसी कंपनियां भी परोस रही हैं अश्लील कंटेंट

नेटफ्लिक्स जैसे वेबपोर्टल देश में लगातार अश्लीलता और विवादित कंटेंट परोस रहे हैं, लेकिन उन पर लगाम लगाना सरकार के लिए मुश्किल हो रहा है। इन पोर्टलों के कंटेंट में अश्लीलता के साथ हिंसा की भी भरमार है, हैरान करने वाली बात यह है कि न सिर्फ विदेशी बल्कि ढेर सारा देसी कंटेंट भी ऐसा है जो गालियों और अश्लील दृश्यों से भरा हुआ है इसके अलावा हिन्दुओ की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले भी सामने आए हैं…. देश में नेटफ्लिक्स पर शुरू हुई वेबसीरीज सेक्रेड गेम्स से यह बहस शुरू हुई थी कि ऑनलाइन कंटेंट को भी सेंसर किया जाए। हालांकि, सिर्फ नेटफ्लिक्स ही नहीं बल्कि देसी आल्ट बालाजी और हॉटस्टार जैसे वेबपोर्टल पर भी रोज नया और तरह-तरह का अश्लील कंटेंट परोसा जा रहा है। नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार, वूट, जी5 और आल्ट बालाजी जैसे करीब एक दर्जन से ज्यादा ऐसे एप चल रहे हैं।

क्या वेब सीरीज बंद कर देनी चाहिए ?

मै इस बात से बिल्कुल सहमत हूँ कि वेब सीरीज में बहुत ज्यादा अश्लीलता दिखाई जाती है, दोस्तों पहले तो वेब प्लेटफार्म को इस्तेमाल कर लोगों को यह फायदा हुआ कि इसमें किसी तरह का कोई सेंसरशिप नहीं होता। इस वजह से कई लोग इसमें जो चाहते हैं वह दिखाते हैं।

कई लोगों ने इसका बहुत ही गलत इस्तेमाल किया और समाज में अश्लीलता फैलाई। ऐसे बहुत सारे वेब सीरीज हैं जिनमें होमोसेक्सुअल सेक्स, लेस्बियन सेक्स से लेकर ना जाने क्या क्या दिखाया जाता है, जो कि बच्चों के लिए तो देखना हानिकारक है ही मगर किसी के लिए भी यह देखना काफी गंदा और घिनौना हो सकता है, मुझे लगता है कि इस तरह के कंटेंट्स को बिल्कुल भी किसी भी माध्यम से प्रसारित होने से रोकना चाहिए ताकि समाज में गंदगी ना फैले…

नेटफ्लिक्स पर कानूनी कार्यवाही

हाल ही में शिवसेना ने नेटफ्लिक्स के खिलाफ मामला दर्ज कराया है, आईटी सेल के सदस्य रमेश सोलंकी ने भारत और हिंदुओं को बदनाम करने के आरोप में मुंबई के एलटी मार्ग पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई है। सोलंकी के अनुसार नेटफ्लिक्स पर लगातार ऐसी वेब सीरिज दिखाई जा रही है जिससे सनातन धर्म को ठेस पहुंच रही है, इसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए

उन्होंने सेक्रेड गेम्स लैला और घोल सहित स्टैंडअप कॉमेडियन हसन मिन्हाज के शो का हवाला देते हुए कहा कि यह सभी सीरीज दुनिया भर में भारत को बदनाम करने की मंशा दर्शाती है। इस आपत्ति के अलावा लंबे वक्त से नेटफ्लिक्स पर अश्लीलता फैलाने के आरोप लगते रहे हैं…. वहीं कोर्ट ने सरकार से इस पर रोक लगाने के लिए प्लान लाने को को कहा है लेकिन अब तक कुछ ठोस नहीं हुआ है

नियम और कानून साफ नहीं है जिससे ये सब रुक नहीं रहा है

इन वेबसाइट्स के कंटेंट को रोकने के लिए न कोई कानून है और न ही डिजिटल कंटेंट को सेंसर करने के लिए कोई संस्था। इसे लेकर कानून, पुलिस और सरकार कितनी बेबस है, इसका अंदाजा पश्चिम बंगाल में हुई एक शिकायत से लगता है। नेटफ्लिक्स के शो सेक्रेड गेम्स में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी की शिकायत जुलाई, 2018 में जब कोलकाता के एक स्थानीय थाने में गई तो कोलकाता पुलिस 5 दिन तक यह पता नहीं लगा पाई कि आखिर इस शिकायत पर किस कानून के तहत एफआईआर की जाए। क्योंकि यह इंटरनेट पर दिखाए गए एक कार्यक्रम का मामला था। संभवत: ये ऑनलाइन मूवी एप से संबंधित पहली शिकायत थी। मामला यहीं शांत नहीं हुआ। कानून की गफलत ने इस मामले को कोर्ट तक पहुंचा दिया। हालांकि, कानून अब भी इस बात का हल निकालने में असफल रहा है कि किसको जिम्मेदार ठहराया जाए

नेटफ्लिक्स जैसी विदेशी कंपनियां भारत सरकार की बात को लगातार अनसुना करती रही हैं। वे खुद को अमेरिकी कानून के लिए ही बाध्य मानती हैं। उन पर हमारा किसी भी तरह के दबाव का फर्क नहीं पड़ता

विराग गुप्ता, एडवोकेट – सुप्रीम कोर्ट

अंतिम बात बस यही बताना चाहता हूँ की मैंने नेटफ्लिक्स या किसी और वेब पोर्टल्स के बारे में जितना भी लिखा है वो बहुत कम है इससे बात नहीं बनेगी पर अभी के लिए हमारे पास कोई कानून भी तो नहीं है की हम कुछ कर सकते ,ऊपर दिए गए पश्चिम बंगाल के उदाहरण से तो आप समझ गए होंगे की कानून कितना बेबस है इन वेब पोर्टल्स के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने के लिए पर ये वेब पोर्टल अगर किसी के दम पे समाज में फ़ैल रहे है तो तो है बस आप और इनका इलाज भी है आप है तो ये सब कानून के नहीं आपके हाँथ में है की आप ये सब देखते है या नहीं देखते बाकी जैसी आपकी मर्ज़ी

आशीष राजपूत

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