डाक की टिकटों के मूल्य द्वारा राष्ट्रभक्तों का महत्त्व निर्धारित नहीं होता ! – हिन्दू जनजागृति समिति

वीर विनायक दामोदर सावरकर का बार-बार अपमान करने वाले कांग्रेस के ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत का हिन्दू जनजागृति समिति तीव्र निषेध करती है । वीर सावरकर के स्मरण दिन के निमित्त  तत्कालीन कांग्रेस प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने डाक टिकट प्रकाशित किए; परंतु आज उन्हीं के दल के मंत्री उस पर टीका कर अपने ही दल के नेताओं का अपमान कर रहें है । यदि इंदिरा गांधी ने वीर सावरकर की तुलना में बंदर के टिकट का मूल्य अधिक रखा, ऐसा मंत्री महोदय को कहना हो, तो कांग्रेसी संस्कृति में आज देशभक्तों की तुलना में बंदरो के समान गुलाटी मारने वालों को अधिक महत्त्व क्यों दिया जा रहा है, यह ध्यान में आता है । माननीय मंत्री महोदय, किसी डाक टिकट के मूल्य से राष्ट्रभक्तों का महत्त्व निर्धारित नहीं होता, यह ध्यान रखें, ऐसा हिन्दू जनजागृति समिति ने कहा है ।

यदि राष्ट्रभक्तों का मूल्य डाक टिकटों से निधारित करना हो, तो गांधीजी के डाक टिकटों का मूल्य डेढ आना अर्थात 9 पैसे; मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, कस्तूरबा गांधी के डाक टिकटों का मूल्य 15 पैसे है । उस तुलना में वीर सावरकर के डाक टिकटों का मूल्य 20 पैसे है । इससे वीर सावरकर का मूल्य तत्कालीन कांग्रेसी नेताओं से अधिक ही है । वीर सावरकर की तुलना बंदर से करने वाले ऊर्जा मंत्री ने एक प्रकार से गांधी-नेहरू के टिकटों की तुलना भी बंदरों से की है, यह उन्हें समझ में आ रहा है क्या ? देश के लिए कुछ करना संभव न हो, तो कम से कम स्वतंत्रता के लिए लडने वाले हमारे महान क्रांतिकारियों का सम्मान करने का सौजन्य तो कांग्रेसी नेताओं में होना चाहिए । ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध दृढ रहकर वीर सावरकर अंडमान में दंड भोगने के लिए गए; परंतु मंत्री महोदय स्वयं की ‘फेसबुक पोस्ट’ के विषय में भी दृढ रहने का साहस नहीं दिखा पाएं । इसलिए उन्होंने वह पोस्ट तत्काल डिलीट कर अपना बचाव किया । तब भगौडा कौन हैं ?, ऐसा प्रश्‍न भी हिन्दू जनजागृति समिति ने किया है ।

रमेश शिंदे,  राष्ट्रीय प्रवक्ता,  हिन्दू जनजागृति समिति

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