आज के समय में जीवन जीने के मूल रूप से दो तरीके हैं, पहला ये कि देश और दुनिया में होने वाली तमाम घटनाओं को सिर्फ अख़बार की खबर जानकर अपने दैनिक जीवन को उसी प्रकार जीते रहना जैसे सदियों से हम जीते आये हैं जिसमें अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए धन कमाना, अपने बच्चों को शिक्षा पाने एक स्कूल में भेजना और सुख-सुविधा पूर्ण जीवन जीते रहना शामिल है। दूसरा तरीका यह है कि अपने परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए समाज और राष्ट्र निर्माण में भागी होना।  

आज हमारे हिन्दू समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग सुविधापूर्ण प्राइवेट नौकरी या सरकारी नौकरी के लिए इस हद तक महत्वाकांक्षी हो गया है कि समाज के सुचारु रूप से उन्नति करने एवं राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने करने से संबंधित किसी कार्य में भारतीय युवा न अपनी भूमिका को समझते हैं और न ही इसकी जिम्मेदारी उठाने के इच्छुक है। एक राष्ट्र के रूप में अनेक आतंरिक चुनौतियों से जूझ रहे भारत पर वर्तमान समय में बाहरी शक्तियों द्वारा हमले के बादल भी मंडरा रहे हैं। 

यह बात सत्य है कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था ने काफी हद तक युवाओं को निराश किया है लेकिन अपनी योग्यताओं को न निखार पाने का सारा आरोप व्यवस्था पर लगाना भी गलत है।  रोज़गार की कमी के चलते विरोध जताने वालों में एक बड़ी संख्या उन लोगों की है जो अपना सुविधा क्षेत्र त्याग कर अवसरों की तलाश शायद ही कभी करते हैं। कुछ सौ सरकारी भर्तियों के सहारे लाखों की संख्या में युवाओं के द्वारा अपना भविष्य संवारने की अभिलाषा रखना कहाँ तक सही है इस पर युवाओं को विचार करने की आवश्यकता है। 

व्यवस्था में बैठे सरकारी कर्मचारियों द्वारा इन युवाओं के मन को यह कहकर प्रभावित किया जाता है कि सरकारी नौकरी में काम नहीं करना पड़ता, आपके और मेरे जीवन के अनुभव यह कहता है कि हमारे प्रदेशों एवं जिलों के सभी सरकारी विभाग अपने किसी भी प्रोजेक्ट को समय पर पूरा नहीं कर पाते हैं, ज्यादातर सरकारी शिक्षक भारत के बच्चों को भविष्य की चुनौतियों और संभावनाओं को ध्यान में रखकर पढ़ाना तो दूर की बात उन्हें सही ढंग से लिखना एवं पढ़ना तक नहीं सीखा पाते हैं। यही शिक्षक समाज में अपनी सरकारी कर्मचारी होने के मात्र के लिए सम्मान के पात्र माने जाते हैं, ऐसे दयनीय स्तिथि होने के बावजूद क्यों भारतीय युवा इन समस्याओं के समाधान निकालने पर ध्यान नहीं देते। 

अगर भारतीय सभ्यता एवं भारत राष्ट्र को सुरक्षित रखना है तो हम युवाओं को एक सुविधा पूर्ण जीवन जीने के स्वप्न को त्यागना होगा और शिक्षा एवं सेवाओं के क्षेत्र में नई ऊर्जा के साथ आगे आने वाली पीढियों के लिए एक रास्ता तैयार करने के लक्ष्य से अपने जीवन को सही दिशा देनी होगी। 

बिना बलिदान के न हमें आज़ादी अंग्रेज़ों और मुगलों से मिली थी और न ही हमें कट्टरपंथी मुसलमानों, ईसाई मिशनरियों, एवं बिके हुए वामपंथियों से मिलेगी। ये देश हमारा है, यह सभ्यता हमारी है। राजनैतिक दल आएंगे और जायेंगे लेकिन ये राष्ट्र हमेशा रहेगा और इसे हमें हर हाल में बचाना है। 

अब तमाम सामाजिक एवं राष्ट्रीय चुनौतियों से कैसे निबटा जाये, उनके लिए आप अपनी योग्यता एवं अनुभव से क्या कर सकते हैं, इस पर हर रोज़ अपने घरों, गली, चौराहों पर चर्चा आज और अभी से करना शुरू कीजिए। अपने आपसी मतभेदों को भूलकर भारत राष्ट्र को नष्ट करने की इच्क्षा से हर रोज़ नयी साजिशें करने वाले घर में छुपे भेड़ियों से लड़ने हेतु हर मोर्चे पर युद्ध स्तर पर कार्य करने की आवश्यक्ता है। 

आप अकेले हों या आपका मित्रों का समूह हो, जो कुछ, जितना भी समय, ऊर्जा, ज्ञान एवं धन आप राष्ट्र हित में लगा सकें, अनिवार्य रूप से लगाएं। जय हिन्द। 

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