हिंदुस्तान में रह रहे चीन के चमचे बीजिंग से मिल रही थैली के दम पर देश के खिलाफ अक्सर काम करते पाए जाते हैं। मीडियाकर्मी, नेता, NGO वाले इन सभी की चंडाल चौकड़ी चीन के चरणों की धूल माथे लगाकर भारत की जड़ों में सैकड़ों सालों से मट्ठा डालते आए हैं। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से लेकर अबतक सैकड़ों NGO की फंड उगाही बन्द की गई है , विदेशों के सहारे आने वाले काले धन पर ED की पैनी नज़र जमी रहती है जिसके चलते शेखर गुप्ता, राजदीप सरदेसाई, रवीश कुमार, अरफ़ा खानुम, कांग्रेस पार्टी सबके अस्तित्व पर संकट मंडरा गया है। भारत-चीन सीमा विवाद बढ़ने के बाद से लेकर अबतक शेखर गुप्ता लगातार 'The Print' नामक एजेंसी के जरिये भारत के खिलाफ नजरिया सेट करते नजर आ रहे हैं।
चीनी ऐप्स के बैन पर सवाल उठाने से लेकर यह बताने के लिए कि चीनी ताकतें कितनी ताकतवर हैं; शेखर गुप्ता की फेक न्यूज़ एजेंसी 'द प्रिंट’ चीन के लिए खुलेआम खेल खेल रही है। शेखर गुप्ता इन दिनों काफी व्यस्त हैं। लगभग हर डेढ़ घंटे में उसे अपनी फर्जी समाचार एजेंसी ’द प्रिंट’ में एक चीन समर्थक लेख को ट्वीट करना पड़ता है। चीन के इन चाकरों की हताशा साफ दिखाई दे रही है क्योंकि शेखर गुप्ता ने पिछले 24 घंटों में 'द प्रिंट' द्वारा प्रकाशित 14 चीन समर्थक लेखों को ट्वीट किया है।
राजेश राजगोपालन द्वारा, द प्रिंट में लिखे गए एक लेख में, उन्होंने यह सवाल उठाने की कोशिश की कि भारत द्वारा चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाना तथ्यों पर आधारित निर्णय नहीं है और कैसे भारत चीन के सम्बंध में सही फैसले नहीं ले रहा है। वह कहते हैं कि LAC शांति को चीन के साथ अच्छे संबंधों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। एक अन्य लेख में 'द प्रिंट' झूठे आंकड़ों के साथ यह साबित करने की कोशिश करता है कि भारत के आयात में चीन की हिस्सेदारी बढ़ रही है। तो वहीं दूसरे लेख में 'द प्रिंट' कहता है कि एलएसी के साथ चीन की उपस्थिति पहले से दोगुनी हो रही है, यानी भारत की जनता को चीन की ताकत बताई जा रही है। एक और लेख में’द प्रिंट’ में इस बात की चर्चा है कि कोरोना वायरस से निपटने में चीन और पाकिस्तान ने कैसे शानदार प्रदर्शन किया है। भारत के खिलाफ चीन के कड़े रुख के बाद से शेखर गुप्ता और उनकी फर्जी समाचार एजेंसी बहुत हताश दिख रही है। हर घंटे एक लेख से पता चलता है कि वे चीन के साथ पहले से ही युद्ध जैसी स्थिति होने पर भारत विरोधी कहानी बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
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