शाहजहाँ के विषय में भारत में घोर गलतफहमी है कि वह मुमताज महल को ही दिलोजान से प्यार करता था, जबकि सच्चाई इससे कोसों दूर है।
शाहजहाँ अपने एक सूबेदार की पत्नी मुमताज महल की खूबसूरती पर इतना रीझा कि उसने सूबेदार की पत्नी का अपहरण कर उसे अपने हरम में शामिल कर लिया।सूबेदार के विरोध करने पर उसने उसका सर कलम करा दिया।
14वीं सन्तान पैदा करते हुए मुमताज की मौत हो गई,तो उसने उससे मिलते जुलते चेहरे वाली उसकी छोटी बहन को अपनी बेगम बना लिया।मगर तब तक मुमताज और शाहजहाँ की बड़ी बेटी जहाँआरा भी जवान हो चुकी थी।उसकी शक्ल हू बहू मुमताज से मिलती थी, इसलिए शाहजहाँ ने जहाँआरा को भी हरम में शामिल कर लिया।
बेटी को हरम में लेने का विरोध होने पर उसने मौल्वियों की ओर से एलान करा दिया कि “किसी को भी अपने लगाए पेड़ का फल खाने का अधिकार है।”
बहुत एय्याश किस्म का बादशाह था शाहजहां!उसके हरम में स्त्रियों की संख्या का कोई निश्चित अनुमान किसी को नहीं है।जो स्त्री उसे पसंद आ जाती थी,वह उसी को अपने हरम में शामिल कर लेता था।खासतौर से अपने सूबेदारों की खूबसूरत बीवियों को।
जाहिर है इतिहास में जिस तरह से शाहजहां को ताजमहल के चलते प्रेम का मसीहा दिखाया जाता है , असल मे उसकी सच्चाई कोसों दूर है…सच ये है कि शाहजहां बेहद अय्याश था और ताजमहल वगैरह की Real सच्चाई दुनिया के सामने आनी चाहिए।
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