न्यायालय के आदेशानुसार वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण का वहां के मुसलमानों ने विरोध करते हुए आयुक्त और अधिवक्ताओं को मस्जिद में प्रवेश नहीं करने दिया । यह इनकी दुष्टता और दुस्साहस है । वे बार बार न्यायालय की अवहेलना कर रहे हैं । स्वयं को न्यायालय की अपेक्षा बडा मान रहे हैं । मुसलमानों की प्रत्येक मांग देश में स्वीकार की गई । न्यायालय के निर्णयानुसार अयोध्या का राम मंदिर यद्यपि हमने प्राप्त कर लिया है, तथापि काशी, मथुरा के हिन्दू धार्मिक स्थलों के लिए हमारी सांस्कृतिक लड़ाई जारी ही रहेगी, ऐसा स्पष्ट प्रतिपादन वाराणसी स्थित जिला न्यायालय के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण : न्यायालय का आदेश सर्वोच्च कि मुस्लिम भीड़तंत्र ?’ इस ऑनलाइन विशेष संवाद में वे बोल रहे थे ।
इस समय ‘काशी ज्ञानवापी अभिमुक्त न्यास‘ के अध्यक्ष पंडित हरिहर पांडेय ने कहा कि, ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण से मुसलमान घबरा क्यों रहे हैं ? वहां हमारा शिवलिंग है और देवताओं की प्रतिमाएं हैं, यह सत्य सामने आने का भय है क्या ? यदि वह सत्य है, तो सर्वेक्षण होने देना चाहिए ! न्यायालय का निर्णय अंतिम और सर्वमान्य होता है; परंतु उन्होंने यह स्वीकार नहीं किया । धर्मांधों की भीड का यहां कुछ चलने नहीं दिया जाएगा । काशी का मंदिर हमारा ही था और हम उसे अवश्य प्राप्त करेंगे ।
हिन्दू जनजागृति समिति के उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य समन्वयक श्री. विश्वनाथ कुलकर्णी ने कहा कि, ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण मुसलमानों द्वारा रोके जाने के उपरांत तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादी अब मौन हैं । अब वे यह नहीं कहेंगे कि, देश का संविधान और कानून संकट में है । मुसलमानों के भीड़तंत्र का यदि ऐसा ही वर्चस्व बना रहा, तो लोगों का न्यायतंत्र पर से विश्वास उठ जाएगा । जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में दंगाखोरों के अवैध अतिक्रमण पर योगी सरकार ने बुलडोजर चलाकर उन्हें सबक सिखाया, उसी प्रकार इस भीड़तंत्र को सबक सिखाना चाहिए । इस समय विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. विनोद बंसल ने कहा कि, ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण क्यों रोका जा रहा है ? इस मस्जिद में ऐसा क्या है, जो छिपाया जा रहा है ? सबके सामने सत्य आना आवश्यक है । जिन्होंने इस मस्जिद का सर्वेक्षण रोका, उनपर न्यायालय का अपमान करने के प्रकरण में कार्यवाही की जाए ।
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