पूरे देश में लगातार टुकड़े टुकड़े गैंग के द्वारा हिंदुओं की निर्ममता से हत्या की जा रही है। इन हत्याओं के पीछे जमात-ए-इस्लामी , पीएफआई ,एसडीपीआई जैसे तमाम संगठनों की विचारधारा का हाथ शंका के घेरे में आता है। लगातार मुस्लिम नवयुवकों को ट्रेनिंग दी जा रही है और वह हिंसा कर रहे हैं।
मगर यहां पर बड़ा सवाल यह उठता है कि ऐसे नाजुक समय में जब देश का हिंदू लगातार कत्लेआम का शिकार हो रहा है तो विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल पूरे देश में क्या कर रहे हैं? बड़ा सवाल ये उठता है कि स्वदेशी जागरण मंच, हिंदू एकता सेना, शिवसेना, हिंदू युवा वाहिनी जैसे तमाम संगठन जो हिंदू हितों की बात करते हैं वह इस समय कहां हैं?
क्या विश्व हिंदू परिषद के नेता सिर्फ और सिर्फ गोदी मीडिया की डिबेट में बैठने के लिए हैं या फिर ट्वीट करने के लिए है? मगर जमीन पर इनका कोई कार्यकर्ता इस बाबत संघर्ष करता हुआ नजर नहीं आता है.. कन्हैया लाल की हत्या के कई दिन बाद बढ़ता हुआ दवाब देख कर विश्व हिंदू परिषद ने दिल्ली के मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक एक जुलूस निकाला और फिर उसके बाद अपने फर्ज की इतिश्री कर ली..! आखिर क्यों विश्व हिंदू परिषद कट्टरपंथी हत्यारों के खिलाफ सड़क से संसद तक संघर्ष नहीं करता है?
पहले की सरकारों के समय बात-बात पर सड़क पर दिखने वाला बजरंग दल आखिर कहां है ?बजरंग दल के कार्यकर्ता हर्षा की कर्नाटक में हत्या कर दी गई मगर पूरे उत्तर भारत में बजरंग दल का एक कार्यकर्ता सड़क पर नहीं उतरा… चार लोग पोस्टर लेकर आते हैं तस्वीर खिंचवाते हैं और इतिश्री हो जाती है।
आखिर इस नाजुक समय में बढ़ती हुई लगातार हिंदू हत्याओं के विरोध में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे तमाम हिंदूवादी संगठनों को क्या सड़क का रुख अख्तियार नहीं करना चाहिए?
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