पत्रकारिता एक बेहद धीर गंभीर विषय है। इसमें बेशुमार शोहरत और आलीशान लाइफ स्टाइल के साथ पैसा है वहीं दूसरी ओर जिम्मेदारियां और खतरे भी कम नहीं हैं। टीवी पर दिखते और अख़बार में लिखते पत्रकारों को देख लोगों को लगता है कि इस पेशे में शोहरत, पैसा और आज़ादी है, लेकिन अपनी आत्मचेतना को जगाए रखना, किसी प्रलोभन या धमकी से न डरना और अपनी रीढ़ को सीधा रखना आजकल भारत की पत्रकारिता में बहुत मुश्किल है। 

A Fabulous Journalist: Shri Rohit Ji Sardana

रोहित सरदाना हरदिल अजीज थे। उनकी बातें, टिप्पणी, संवाद का स्तर उन्हें हमारे जैसा बना देता था। सरल, सहज और डाउन टू अर्थ रोहित छोटे से छोटे व्यक्ति के लिए भी समय देखे बिना मंत्रियों तक को फोन लगा देते थे लेकिन अपने लिए कोई सिफारिश? कभी नहीं, किसी से नहीं। 

समाज को कोरोना से डराते, सांप्रदायिक समाचार चला कर पंथ विशेष के ही हित की ख़बरों को प्रसारित करने और देश के विरुद्ध माहौल तैयार करने में एक वर्ग जहाँ विशेष महारत हासिल कर चुका है, वहीं कुछ पत्रकार आज भी सच्चाई और देशप्रेम की मशाल पकडे हुए हैं। उन्हीं में से एक राष्ट्रवादी पत्रकार थे, श्री रोहित जी सरदाना। 

रोहित को जहाँ अपने तेजतर्रार बुलंद आवाज़ के लिए जाना जाता था, वहीं उनकी हाज़िर जवाबी, उनकी स्याह को स्याह और धौल को धौल कहने की क्षमता उन्हें भीड़ से अलग करती थी। उन्होंने काफी समय ज़ी न्यूज़ के साथ काम किया था और आजकल आजतक के साथ जुड़े हुए थे। उनके असमय गोलोकवास के कारण उनके साथी पत्रकारों का टीवी पर फूट फूट कर रोना, दिखाता है कि वो कितने लोकप्रिय थे अपने साथियों में। 

दंगल जैसे टीवी शो को उन्होंने अपनी बेबाकी, हाजिर जवाबी और सार्थक बहस के माध्यम से देश का सर्वप्रिय शो बना दिया था। अपनी स्पष्टता के साथ बात कहने के अंदाज़ और किसी भी विषयवस्तु पर उनका ज्ञान उन्हें सफलता के शिखर पर पहुंचा चुका था। 

खुदके बीमार होने पर भी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री से अपने महकमे के सफाईकर्मी के लिए बेड की सिफारिश करना आपकी महानता का ही परिचायक है। फेसबुक लाइव जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से अपने चाहने वालों के साथ बात करना उन्हें भाता था। गोदी मीडिया के प्रश्न पर दिया उनका जवाब देश आज भी याद करता है। कठिन से कठिन विषय पर अपने तर्कों के माध्यम से सरलता के साथ विषयवस्तु को प्रस्तुत करने का फन विरले पत्रकारों में ही होता है। 

आज जब पत्रकारों को अलग नजर से देखा जाता है, आपकी सर्वमान्य स्वीकारता आपको देश का निष्पक्ष पत्रकार बनाती थी। जितने तीखे सवाल विपक्ष से होते थे, उतने ही चुटीले अंदाज़ में आप सत्ता पक्ष को भी निशाना बनाना जानते थे। आपके निधन से देश ने पत्रकारिता की आवाज खो दी आज। पत्रकारिता का एक सच्चा सपूत आज चला गया जिसके लिए पत्रकारिता भी रो दी होगी। 

देश आज दुखी है। भावभीनी श्रद्धांजलि रोहित जी। 

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