बाबा विश्वनाथ की नगरी में शिवलिंग का मिलना कोई बड़ी बात नहीं है. क्योंकि काशी के कण-कण में तो हमेशा से सिर्फ महादेव का ही वास रहा है. जिसे इस्लामिक आक्रांताओं ने हर संभव मिटाने की कोशिश की. अब जब मस्जिद के अंदर शिवलिंग मिला तो इस देश के लिब्रांडुओं के साथ ही देश के कुछ नेता भी बिना टीका-टिप्पणी किये बिना भला कैसे रहते .

दरअसल समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पूरी घटना का मजाक उड़ाते हुए न सिर्फ हिंदू धर्म पर विवादित बयान दिया है बल्कि हिंदुओं का आस्था के साथ खेला है. अखिलेश यादव ने बुधवार को एक प्रेस कॉफ्रेंस के दौरान कहा कि ‘हमारे हिंदू धर्म में यह है कि पीपल के पेड़ के नीचे कहीं पर भी पत्थर रख दो. उस पर लाल झंडा लगा दो तो वह मंदिर बन जाता है.’

इतना ही नहीं उन्होंने अयोध्या में हुए श्रीराम मंदिर पर आंदोलन पर भी निशाना साधते हुए कहा कि ‘एक समय ऐसा था कि रात के अंधेरे में मूर्तियां रख दी गई थीं. बीजेपी कुछ भी कर सकती है और कुछ भी करा सकती है. इसका कुछ भी भरोसा नहीं है.’ अपने इस बयान की वजह से अखिलेश यादव एक बार फिर सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहे हैं .

आपको याद होगा ये वहीं अखिलेश यादव हैं जो यूपी विधानसभा चुनाव से पहले तो तुष्टीकरण की राजनीति करते थे लेकिन चुनावों की आहट होते ही ये लोग मौसमी हिन्दू बन जाते हैं. हिन्दुओं को लुभाने के लिए मंदिर-मंदिर जाते हैं, सपा का इतिहास मुस्लिम तुष्टिकरण से भरा पड़ा है. इनका मुख्य एजेंडा हमेशा ही मुस्लिम तुष्टीकरण रहा है, इसलिए अगर ऐसे नेता हिंदु धर्म को लेकर इस तरह की बातें बोलें तो मुझे लगता है कि ये कोई आश्चर्य की बात नहीं है .

मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए हिन्दूओं की भावनाओं और उनके हितों को ठेंगा दिखाने वाले अखिलेश ने संभवत अपने पिता मुलायम सिंह यादव से ही तुष्टीकरण की कलाएं सीखी होंगी. मुलायम सिंह यादव के सुपुत्र से और उम्मीद ही क्या की जा सकती है, आपको याद होगा भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण को लेकर 1990 में कारसेवकों पर गोलियां चलवाने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को भी तुष्टीकरण की वजह से मौलाना मुलायम कहा जाने लगा था। कुछ ऐसे ही तुष्टीकरण की राजनीति मुलायम सिंह ने अपने सुपुत्र अखिलेश यादव को भी सिखा दिया है

जाहिर तौर पर अखिलेश यादव का ये बयान हिन्दुओं को अपमानित करने वाला है. जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ये हिन्दुओं की आस्था को चोट पहुंचाने वाला बयान है जिसके लिए अखिलेश यादव को माफ़ी मांगनी ही चाहिए

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