श्रीलंका में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, श्रीलंका इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकटों से गुज़र रहा है. श्रीलंका में इन दिनों उथलपुथल मची हुई है। देश के खराब होते हालात और दबावों को देखते हुए श्रीलंकाई प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफे के कुछ ही घंटों के बाद ही सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए जिसमें प्रदर्शनकारियों ने उनके पैतृक घर ‘मेदामुलाना वालवा’ को जला दिया । इस हिंसा में अब तक कईयों की मौत और 200 से अधिक घायल हुए हैं। खाने-पीने के सामानों के साथ ही ईंधन, बिजली और ट्रांसपोर्ट सब महंगा हो गया है।

आर्थिक संकट के बाद श्रीलंका को हिंसा से दो चार होना पड़ रहा है. दंगे हो रहे हैं, सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें सामने आ रही है उसमें साफ दिख रहा है कि मंत्रियों के घरों को आग के हवाले किया जा रहा है, नेताओं को गाड़ियों सहित नदी में उलट दिया जा रहा है.

जलते श्रीलंका को देखकर भारत में रह भारत का लिबरल समाज बिना ज्ञान की गंगा बहाये भला कैसे रह सकता है, चाहे रुस और युक्रेन के बीच युद्ध हो या फिर श्रीलंका के हालात, भारत के वामपंथी वर्ग बिना मुंह खोले नहीं रह सकता . श्रीलंका के हालात को देखकर भारत में रहने वाले वामपंथियों का दिल गार्डेन-गार्डेन हो गया है. ये बात किसी से छिपी नहीं है कि हर बार ये वामपंथी गुट सरकार विरोधी एजेंडा चलाने की फिराक में रहता है चाहे CAA के विरोध में दंगे करवाना हो या फिर किसान आन्दोलन के दौरान सरकार विरोधी एजेंडा चलाना हो .लेकिन हर बार इन वामपंथियों को मुंह की खानी पड़ती है. लेकिन ऐसे ज्ञानचंदों का क्या करें जो बिना बोले रह ही नहीं सकते. ये क्या पाकिस्तान, क्या यूक्रेन और क्या श्रीलंका सभी मामलों के जानकार हैं.

इतने से भी इनका मन नहीं भरा तो पहले कोरोना महामारी को लेकर सरकार पर सवाल खड़े करना , फिर युक्रेन में फंसे हुए भारतीय छात्रों को लेकर हो-हल्ला मचाना. सरकार ने बिना देर किये ऑपरेशन गंगा के तहत सभी भारतीयों को वहां से निकाला, लेकिन मजाल हे जो इन वामपंथियों के मुंह पर ताला लगे

विडंबना तो ये कि इसमें वामपंथियों के अलावा कांग्रेस के नेता भी पीछे नहीं हैं. रेणुका चौधरी का ट्वीट पढ़कर आप अंदाजा लगा सकते हैं वो क्या कहना चाहती हैं. वरिष्ठ पत्रकार कंचन गुप्ता ने रेणुका चौधरी को जवाब देते हुए लिखा कि एक पूर्व यूपीए मंत्री जो आईजीआई की ड्यूटी फ्री दुकान से पत्रकारों को व्हिस्की पिलाते थे, वह भारत में श्रीलंका जैसी स्थिति चाहते हैं.

देश ये जानता है कि यूपीए सरकार के दौरान हर रोज देश को नए घोटालों की खबरें सुनने को मिलती थी जिसकी वजह से आखिरकार जनता ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया. बावजूद इसके यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में एक बड़ा वर्ग श्रीलंका जैसे हालात भारत में होने की कामना कर रहा है. देखा जाए तो इन वामपंथियों को न किसी के आंसूओं से मतलब है ना ही किसी की जिंदगी से इनका एकमात्र मकसद होता है इनकी मनपसंद सरकार देश में आए ताकि ये बिना किसी रोकटोक के अपना एंजेडा चलाते रहे जैसे 2014 के पहले ये करते थे….लेकिन फिलहाल ये एक सपने जैसा ही लगता है.

 

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.