महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने का सुझाव देना बीजेपी को आत्महत्या के लिए उकसाना है
– कुछ लोग ज़ोर देकर बार बार एक ही रट लगा रहे हैं कि महाराष्ट्र में आपातकाल लगा देना चाहिये क्योंकि वहां अर्णब को गिरफ्तार कर लिया गया है
– राजनीति में विजय उसी की होती है जिसके पास जनता की सहानुभूति होती है जैसे ही बीजेपी महाराष्ट्र में आपातकाल लगाएगी । महाराष्ट्र की जनता की सहानुभूति उद्धव ठाकरे के साथ चली जाएगी और इस तरह नैतिक बल खो चुके उद्धव दोबारा ताकतवर हो जाएंगे
– राजनीति में नैतिक बल भी बहुत बड़ी चीज़ होती है… उद्धव ठाकरे… कांग्रेस के साथ गठबंधन करके अपना नैतिक बल खो चुके हैं पालघर जैसे हत्याकांडों ने उनकी हिंदुत्ववादी छवि पर भी बट्टा लगा दिया है… लेकिन आपातकाल लगाने के बाद उनको ज़बरदस्त नैतिक बल हासिल हो जाएगा और वो बीजेपी पर हावी हो जाएंगे
– उद्धव ठाकरे… ठाकरे परिवार से आते हैं जिसका महाराष्ट्र में बहुत ज्यादा सम्मान है और एक बड़ा वोट बैंक भी है । उद्धव के मुख्यमंत्री बनने के बाद ठाकरे परिवार का फैलाया हुआ तिलिस्म टूट चुका है…. लोग जान चुके हैं कि ठाकरे परिवार का ये कुलदीपक एक सामान्य व्यक्ति है जो ना कोरोना सँभाल पाया और ना ही और कुछ ।
– ऐसी स्थिति में महाराष्ट्र में बीजेपी के लिये सबसे अच्छी स्ट्रेटेजी यही है कि उद्धव को महाराष्ट्र की जनता की नज़रों में और ज्यादा गिरने दो… बल्कि इतना गिर जानें कि दोबारा कभी उठने की स्थिति ही ना रह जाए । उद्धव जितने ज्यादा गिरेंगे राष्ट्रवादी शक्तियों उतनी ही ज्यादा उठेंगी और इस तरह कुछ सालों के बाद महाराष्ट्र में राष्ट्रवादियों का एक छत्र शासन होगा
– महाराष्ट्र में मराठी का मुद्दा भी एक बहुत बड़ा मुद्दा है । हिंदुत्व से भी कहीं ज्यादा बड़ा मुद्दा मराठी मानुष का है । जैसे ही महाराष्ट्र की सरकार बर्खास्त की जाएगी.. उद्धव फ़ौरन खुद को छत्रपति शिवाजी और दिल्ली पति को औरंगजेब की तरह बताएँगे और मोदी को बड़ी मुश्किल में डाल देंगे । इसलिये भी महाराष्ट्र में किसी मराठी मानुष की सरकार को बर्खास्त कर देना आत्मघात होगा ।
– कुछ लोग कह रहे हैं कि इंदिरा गांधी की तरह आपातकाल लगाकर राज्य सरकार को बर्खास्त कर दो । इंदिरा के समय स्थितियाँ दूसरी थीं । तब ना तो विपक्ष में कोई बड़ी ताकत थी.. ना ही इलेक्ट्रोनिक मीडिया था और ना ही सोशल मीडिया । आज मोदी सरकार का एक भी गलत फैसला सालों साल की मेहनत पर पानी फेर सकता है ।
– हम लोग एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में जी रहे हैं यहां कोई राजतंत्र नहीं है । ताकत जनता के पास में वोट के रूप में मौजूद हैं । जो लोग बार बार मोदी से घरेलू मोर्चे पर अत्यंत उग्र नीति की मांग करते हैं वो ये नहीं समझ पा रहे हैं कि अधिकांश हिंदू जनता आज भी कायर मानसिकता वाली है और वो नहीं चाहती कि फ्राँस की तरह भारत में भी गृहयुद्ध की स्थिति छिड़ जाए
– हिंदू हमेशा अपनी लड़ाई दूसरों से लड़वाना चाहते हैं वो ये चाहते हैं कि आराम से नेशनल टीवी पर बैठकर युद्ध का लाइव प्रसारण स्नैक्स और चाय पीते हुए देखें । इसीलिए वो चाहते हैं कि देश में सदैव शांति बने रहे । ऐसे में किसी भी कठोर फ़ैसले की प्रतिक्रिया हुई तो यही अधिकांश हिंदू ही मोदी को हरा देगा । यही वजह है कि मोदी को ये लड़ाई कूटनीति से ही लड़नी पड़ेगी ।
– और मोदी कूटनीति से लड़ने के लिए इसलिए मजबूर नहीं हैं क्योंकि मोदी कमजोर हैं । कूटनीति की जरूरत इसलिए पड़ रही है क्योंकि हिंदू मानसिक रूप से किसी अशांति और हिंसक स्थितियों के लिए तैयार नहीं है
– बाक़ी अर्णब की रिहाई के लिए अभियान चलाइए और ज़ोरदार आवाज़ उठाइए लेकिन सरकार से बचकाना माँगें ना करें ।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.
केन्द्र सरकार राष्ट्रपति शासन नही लगाना चाहती तो कम से कम अर्नब को बचा तो सकती है, उसको जेल से बाहर निकाल कर Z श्रेणी की सुरक्षा तो दे ही सकती है या इतना करना भी बस मे नही है मोदी सरकार के?