बिहार के कुछ जिले जैसे किशनगंज, पुर्णियां और अररिया मुस्लिम-बहुल इलाके हैं. सियासत के लिहाज से भी यहां मुस्लिम नेताओं की पैठ है. आपको बता दें असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को यहां अच्छी सीट मिली थी। यहां तक कि विधानसभा उपचुनाव में भी ओवैसी की पार्टी ने अपना झंडा गाड़ा था जिसकी वजह से पूरे इलाके में इनकी ही चलती है. शायद यही वजह है कि किशनगंज जिले के मुस्लिम-बहुल इलाकों के सरकारी प्रारंभिक स्कूलों में रविवार की जगह शुक्रवार को छुट्टी होने की खबर सामने आयी है .

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक किशनगंज बिहार का एक मात्र मुस्लिम-बहुल जिला है. कुछ ही दिनों में इस जिले में काफी तादाद में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए अपना अड्डा बना चुके हैं जिसकी वजह से किशनगंज के कुछ हिस्सों में हिंदू आबादी सिमटती नजर आ रही है . रिपोर्ट की मानें तो ग्रामीण इलाकों में हिंदू आबादी ना के बराबर है. जिसकी वजह से दूसरे समुदायों की पकड़ यहां और मजबूत होती जा रही है.

विडंबना देखिए कि सेकुलर सरकारों की नीतियां भी ऐसी बनती रही हैं कि उनसे ऐसे ही लोगों की शक्ति बढ़ी है. इन्हीं में से एक नीति है सरकारी स्कूलों में छुट्टी देने की। दरअसल बिहार में हर जिले के मौसम को देखते हुए जिले के वरिष्ठ अधिकारी ही छुट्टी की तारीखें तय करते हैं। माना जाता है कि इसी का फायदा किशनगंज जिले के मुस्लिम नेताओं ने उठाया और प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव बनाया कि मुस्लिम त्योहारों को देखते हुए छुट्टी की तारीखें तय करें। लेकिन इस बीच जो हैरान करने वाली बात सामने आयी कि ये परंपरा तो सालों से चलती आ रही है , जिसका कभी भी किसी ने विरोध नहीं किया. वहीं इस जिले में इस बार ‘ईद उल फितर’ की छुट्टी छह दिन की हो रही है। पहली छुट्टी 29 अप्रैल, शुक्रवार यानी जुम्मे को हो रही है। इस जुम्मे को रमजान की अंतिम नमाज पढ़ी जाती है। इस बार किशनगंज जिले में लगातार 29 अप्रैल से 4 मई तक छुट्टी हो रही है।

साभार-सोशल मीडिया

वहीं किशनगंज जिले में ऐसे कई स्कूल हैं जो रविवार की जगह शुक्रवार को बंद रहते हैं। ये स्कूल मुस्लिम-बहुल इलाकों में हैं। मुस्लिम वोटों को देखते हुए सरकार ने ही शुक्रवार की छुट्टी का प्रावधान किया है। शुक्रवार को बंद रहने वाले स्कूल रविवार को खुलते हैं। इन स्कूलों में गुरुवार को आधे दिन पढ़ाई होती है, जबकि सामान्य स्कूलों में शनिवार को आधे दिन पढ़ाई होती है और रविवार को छुट्टी रहती है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षकों ने बताया कि ऐसे स्कूलों के मुसलमान टीचर हर शुक्रवार को नमाज पढ़ने के लिए 12 बजे स्कूल से चले जाते हैं उसके बाद वो स्कूल नहीं लौटते हैं. हालांकि मामला सामने आने के बाद अधिकारियों का कहना है कि ऐसी कोई शिकायत हमें नहीं मिली है अगर कोई शिकायत सामने आती है तो हम कार्रवाई करेंगे . सवाल ये कि कार्रवाई जब होगी तब होगी. लेकिन ऐसे शिक्षकों की शिकायत करेगा कौन ? ध्यान देने वाली बात यही है कि इस मुस्लिम-बहुल जिले में हिंदू टीचर नौकरी कर पा रहे हैं, वही गनीमत है. कुछ ऐसा ही हाल यहां के बड़े बाबुओं का है . चूंकि गांवों में ज्यादातर आबादी मुस्लिम है इसलिए प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र भी 99 फीसदी मुसलमान ही हैं। ऐसी हालत में कोई भी किसी पचड़े में फंसे बिना शांति से काम करना चाहता है. इसलिए मुसलमान शिक्षकों ने हर शुक्रवार को नमाज के बहाने 12 बजे स्कूल छोड़ देने का नया नियम ही बना दिया है. इन लोगों के लिए शुक्रवार हाफ डे है, शनिवार भी हाफ डे और रविवार तो छुट्टी होती ही है।

किशनगंज बिहार के सीमांचल इलाके में आता है और यह आर्थिक रूप से काफी पिछड़ा है। लेकिन सवाल ये कि क्या किशनगंज पाकिस्तान में है ? क्या अफ़ग़ानिस्तान में या फिर सऊदी अरब में ? आखिर ये कहां का संविधान लागू किया गया है किशनगंज में ? ये बेहद ही खतरनाक है क्योंकि ये भविष्य की एक झलक मात्र है, ये आज एक जिले में हुआ कल भारत के दूसरे शहरों में ये लोग अपना ही संविधान बना डालेंगे . जो अच्छे संकेत नहीं है …इसलिए हिंदुओं को समय रहते जागना ही होगा.

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.