7 मई 2022 का दिन न सिर्फ जम्मू-कश्मीर के इतिहास में बल्कि पूरे भारतवर्ष के इतिहास के लिए एक अनूठा दिन था, 700 सालों के बाद मार्तण्ड सूर्य मंदिर में पूजा की गयी थी। ये वाकई बेहद ही भावुक और गर्व की अनुभूति कराने वाला पल था. मार्तंड सूर्य मंदिर में लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने रविवार को पूजा की थी। हो भी क्यों ना भारत में सालों तक आक्रांताओं ने हिन्दू सभयता और संस्कृति को ध्वस्त करने का काम किया है. हमारे मंदिरों को तोड़ कर आक्रांताओं ने मस्जिद और मज़ार का बनवा कर हिन्दुओं की आस्था को चोट पहुंचाया है. 90 के दशक में वहां के हिंदुओं को बंदूक की नोक पर उन्हें उनकी मातृभूमि से बाहर निकाल दिया गया था।

लेकिन इस मामले को लेकर शर्मनाक मोड़ तब आया तब ASI यानि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने लेफ्टिनेंट गवर्नर LG मनोज सिन्हा द्वारा मार्तंड सूर्य मंदिर में पूजा करने को प्राचीन स्मारकों के संरक्षण के नियमों का उल्लंघन बता डाला .

दरअसल यहीं से ASI पर सवाल उठने शुरू हो जाते हैं..क्योंकि एएसआई के मुताबिक संरक्षित स्मारकों में ऐसे आयोजन नहीं होने चाहिए। लेकिन हैरानी की बात ये है कि कुछ सालों पहले इसी मार्तण्ड सूर्य मंदिर में बॉलीवुड की फिल्म हैदर कर एक गीत ‘बिस्मिल बिस्मिल’ फिल्माया गया था। उस गीत में इस मंदिर को शैतान की गुफा बताया गया था.

आखिर ASI ने एक संरक्षित स्मारक पर फिल्म की शूटिंग क्यों करने दी ? गलत नाम से स्मारक का प्रचार क्यों करने दिया ? इस मामले पर तो एएसआई ने आज तक कोई आपत्ति नहीं उठायी,

एक और खबर सामने आयी है जिससे ASI के दोहरे मापदंड उजागर हो गए हैं. दरअसल मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में धार भोजशाला में नमाज़ पर रोक की मांग वाली याचिका पर सुनवाई होगी। याचिका ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नाम के संगठन ने दायर की है। इसी मामले में हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश राज्य सरकार, केंद्र सरकार और पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस जारी किया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह याचिका ASI के डायरेक्टर जनरल द्वारा 7 अप्रैल 2003 को भोजशाला मामले में दिए गए आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई है। उस आदेश में भोजशाला के अंदर मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की अनुमति दे दी गई थी। धार जिले की इस भोजशाला को मुस्लिम पक्ष 11वीं सदी में बनी ‘कमाल मौला मस्जिद’ बताता है। वहीं हिन्दू पक्ष इसे सनातन धर्म से जुड़ी धरोहर कहता है। हिन्दू संगठन ने अपनी मांग में भोजशाला के अंदर मां सरस्वती की प्रतिमा की स्थापना और अंदर बने रंगीन चित्रों की जांच की मांग की। इसी के साथ केंद्र सरकार से भोजशाला में बनी कलाकृतियों और मूर्तियों की रेडियो कार्बन डेटिंग करवाने की भी गुजारिश की है।

दरअसल वर्तमान में भोजशाला संरक्षित धरोहर होकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है. हिंदू धर्म के लोग हर मंगलवार यहां हनुमान चालीसा का पाठ करने आते हैं . जबकि मुस्लिम समुदाय को शुक्रवार के दिन दोपहर 1 से 3 बजे तक नमाज की अनुमति रहती है. हर साल भोज उत्सव समिति की तरफ से बसंत पंचमी पर मां वाग्देवी सरस्वती जन्मोत्सव भोजशाला में सूर्योदय से सूर्यास्त तक धूमधाम से मनाया जाता है. इस बीच बसंत पंचमी और शुक्रवार एक ही दिन आने पर विवाद की स्थिति बनती है और इसीलिए यह मामला विवादित है.

जाहिर है ये ASI का ऐसा पाखंड है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. ASI को समस्या का हिस्सा बनने के बजाय समाधान का हिस्सा बनने की जरुरत है । क्योंकि देश की मोदी सरकार भी इस बात पर जोर दे रही है की हिन्दू सभ्यता और संस्कृति को दोबारा हिन्दुओं को सौंप दिया जाए जिसे आक्रांताओं और कट्टरपंथियों ने ध्वस्त करने का काम किया था .

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