आम आदमी पार्टी दंगे कराने में ममता बनर्जी की पार्टी TMC और कांग्रेस पार्टी से कहीं से भी पीछे नहीं है. दंगे फसाद कराना मानों अब इनकी आदत बन गई है . आम आदमी पार्टी देश हितों को ताक पर रखकर अपने स्वार्थ सिद्धि और सत्ता में बने रहने के लिए दंगे तक करवाने से गुरेज नहीं कर रही. हाल ही में जिस तरह से आम आदमी पार्टी की काउंसलर को दंगे के आरोप में 7 साल की सजा सुनाई गई है उससे तो यही लगता है कि जहां भी दंगे हो रहे हैं उसमें आम आदमी पार्टी के किसी न किसी नेता का नाम जरुर सामने आ रहा है . ताहिर हुसैन का नाम कैसे भूला जा सकता है जिसके घर से 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के समय बड़ी संख्या में विस्फोटक पदार्थ मिले थे. जिसमें पूरी दिल्ली को हिंसा की आग में झोकने की प्लानिंग की गई थी. वहीं उसके बाद हाल ही में जहांगीरपुरी में हिंदुओं पर गोली चलाने के लिए मोहम्मद अंसार को गिरफ्तार किया गया और अब निशा सिंह.

दरअसल हरियाणा में आम आदमी पार्टी की पूर्व पार्षद और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री की सलाहकार रही निशा सिंह को कोर्ट ने 7 वर्ष की सजा सुनाई है. उन्हें यह सजा पुलिस पर हमला करने के आरोप में सुनाई गयी है। हालांकि ऐसे हर मामले में आम आदमी पार्टी इन दंगाइयों से अपना पीछा छुड़ाने की कोशिश में रहती है, पार्टी के बड़े नेता पार्टी का बचाव करने मीडिया के सामने पहुंच जाते हैं लेकिन पुरानी फोटो और रिकार्ड्स को हटाना वे भूल जाते हैं । जैसे अभी वाले मामले में निशा सिंह का पेज डिलीट कर दिया गया है, फिर भी पार्टी को ये जबाव तो देना ही होगा कि जब साल 2015 में निशा सिंह ने यह दंगा किया था, उसके बाद भी वे पार्टी में क्यों बनी रही?

इस बीच सबसे ज्यादा हैरानी इस बात की है इतनी बड़ी खबर किसी भी अखबार और चैनलों पर नहीं दिखाई गयी. सोशल मीडिया पर लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि आम आदमी पार्टी के इतने बड़े नेता के खिलाफ कोर्ट का निर्णय आने पर भी तमाम चैनल मौन व्रत साधे हुए हैं.

लोगों का कहना है कि क्या यही आम आदमी पार्टी का सरकार मॉडल है जिसने मानों मीडिया को खरीद लिया है, कोई भी मीडिया आम आदमी पार्टी की सच्चाई दिखाते हुए न्यूज नहीं चला सकता है. दरअसल आम आदमी ने मीडिया को ऐसा कंट्रोल में लिया है कि बार-बार उसके कार्यकर्ताओं और नेताओं का नाम तोड़फोड़, आगजनी और दंगे में सामने आने के बावजूद मीडिया की तरफ से ऐसी खबरें दबा दी डाती है ।

इस तरह के अपराधी किस्म के नेताओं को पार्टी में शामिल करना आम आदमी पार्टी की उस सत्ता प्राप्ति की भूख को दर्शाता है, पंजाब का कुछ यहीं हश्र हो रहा है जहां दो दिन पहले पंजाब में आम आदमी पार्टी ने खालिस्तानी तत्वों को शह दी। पंजाब में AAP की सरकार आने के बाद खालिस्तानियों की ताकत और ज्यादा बढ़ गई है . पटियाला में हुई हिंसा इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। सवाल ये कि बदलाव करने का दावा कर आई पार्टी किस तरह की राजनीति करना चाहती है. जिस दिल्ली के रामलीला मैदान में अरविंद केजरीवाल ने बड़ी-बड़ी बातें कर देश को बदलने का वादा किया था कहां गये वो खोखले वादे ?

दुर्भाग्य है कि ऐसे दंगा कराने वाले नेताओं पर खुद को क्रांतिकारी पत्रकार बताने वाले भी शो नहीं करते हैं. आम आदमी पार्टी से जुड़े होने के कारण ताहिर हुसैन से लेकर मोहम्मद अंसार और अमानतुल्लाह खान से लेकर निशा सिंह तक, AAP के नेताओं के कुकर्मों उनके अपराधों को मीडिया की तरफ से हमेशा मामले के दबाने की कोशिश होती आई है. जिसे सामने लाना बेहद जरुरी है.

 

 

 

 

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