पटियाला में शिव सेना और खालिस्तानियों के बीच आज जो संघर्ष हुआ है ।दिन भर हुदंडांगबाजी तो खूब हुई परंतु भगवान की कृपा से कोई हताहत नहीं हुआ।शुद्ध रूप से ये शक्तियाँ सामान्य समाज में fringe हैं, बड़ा समर्थन इन के साथ नहीं है ।एक तरफ शरारतबाजी कर मीडिया के माध्यम से नेतागीरी चमकाने वाले तथाकथित शिव सैनिक और दूसरी तरफ पन्नू के आह्वान पर पर कुछ डॉलर या विदेशों में बसने की चाहत रखने वाले तथाकथित खालिस्तानी। हर किसी की कोशिश होती है की मेरी तलवार लहराते की वीडियो मीडिया में दूर तक या विदेश तक पहुँच जाए बस।

पटियाला का काली माता मंदिर 80 से ही तथाकथित शिव सैनिकों की शरणस्थली रहा है।आए दिन वहां से कोई न कोई शरारत की कॉल आती ही रहती है।वहां शुद्ध रूप से गनमैन लेने और इस सबकी आड़ में गलत धंधे करने का खेल भर है।राजनीतिक स्तर पर अभी तक किसी ने इसे हिंदू सिख रंग देने की कोशिश नहीं की है। AAP ने इसे शिव सेना और अकालीदल का क्लेश घोषित किया है। मुख्य शरारती हरीश सिंगला की गाड़ी पर हिंदू समाज ने पत्थर फेंके हैं।सरकारी स्तर पर भी वही औपचारिकता इत्यादि हुई है और कुछ गिरफ़्तारी हुई हैं।

प्रारंभ से ही पंजाब में 10-15 तरह की शिव सेनाएं राष्ट्रीय विमर्श के लिए सिरदर्द बनी रही हैं।हमारी एक संतुलित प्रतिक्रिया रहनी चाहिए, यह शरारती तत्व हिंदू /सिख समाज का प्रतिनिधित्व नहीं करते और यह सब पुलिस की सुरक्षा लेने , हथियार का लाइसेंस लेने या बाहर से डोनेशन इकट्ठा करने के लिए ही की गई शरारत है।इन सब शक्तियों को सामान्य समाज में अलग-थलग करने की आवश्यकता है ।

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