बीजेपी और कांग्रेस में क्या फर्क है, इसकी कहानी आज हम आपको समझाते हैं…कल पूरे सम्मान के साथ कल्याण सिंह का अंतिम संस्कार हो गया..अंतिम दर्शन के लिए मोदी लखनऊ गए तो अंतिम संस्कार में अमित शाह शामिल हुए..इसके अलावा cm योगी भी कल्याण सिंह की अंतिम यात्रा में पूरी मुस्तैदी से जुटे रहे। 
कल्याण सिंह का अंतिम संस्कार देखकर अनायास पीवी नरसिम्हा राव याद आ गए..दिसंबर 2004 में नरसिम्हा राव का निधन हुआ तो उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय में इंट्री नहीं दी गई..आधे घंटे तक शव वाहन कांग्रेस मुख्यालय के बाहर खड़े रहा लेकिन मुख्यालय के अंदर नहीं ले जाने दिया गया..नरसिम्हा राव के घर वाले चाहते थे कि उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में हो लेकिन ऐसा भी नहीं होने दिया गया..दिल्ली से लेकर हैदराबाद तक से नरसिम्हा राव के परिवार वालों पर प्रेशर डलवाया गया कि वो दिल्ली में अंतिम संस्कार की जिद छोड़ें और हैदराबाद में अंतिम संस्कार हो..।


सूत्रों के मुताबिक उस समय सोनिया गांधी पी वी नरसिम्हा राव से काफी नाराज थी इस वजह से उन्होंने उनके शव को दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय में नहीं आने दिया  , कहा जाता है कि सोनिया गांधी ने ज्यादा दबाव बनाया कि विभिन्न नरसिंहराव के शव का दिल्ली में भी अंतिम संस्कार नहीं हो सका। इसके बावजूद जब कल्याण सिंह ने बीजेपी छोड़ी थी तो उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने वाले मुलायम सिंह यादव से हाथ मिला लिया था और उन्होंने बीजेपी के तत्कालीन सबसे बड़े चेहरे अटल बिहारी वाजपेई के बारे में भी खूब इधर उधर की बातें कही थी।


हिंदू धर्म में ये माना जाता है कि मरने के बाद इंसान की बुराइयां भूल जानी चाहिए… देखिए ये दोनों ही नेता 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के वक्त देश के सबसे बड़े पद और राजनीतिक रूप से देश के सबसे अहम सूबे के सबसे बड़े पद पर थे..एक ही घटना के लिए एक अपनी पार्टी के लिए विलेन हो गया…और एक हीरो..।

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