ज्ञानवापी में शिवलिंग क्या मिला उसके बाद तो वामपंथी पत्रकार, प्रोफेसर और राजनीतिक पार्टियों के नेताओं तक ने भगवान शिव और सनातन धर्म का मजाक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर शिवलिंग मिलते ही इस देश के लिब्रांडुओं की हालत ऐसी हो गई कि उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि वो करें तो करें क्या. बोलें तो क्या बोलें. लेकिन इन लिब्रांडुओं के पास जब कुछ भी बोलने को नहीं होता तमाम खोखली बातें ख़त्म हो जाती हैं तो ये सनातन धर्म का मज़ाक बनाने लगते हैं. ठीक ऐसा ही इन लोगों ने इस बार भी किया . इनमें बड़े-बड़े नामों से लेकर टिटपुंजिये ट्रोलर भी शामिल थे. चाहे वो TMC सांसद महुआ मोइत्रा हो, खुद को एलिट क्लास का पत्रकार समझने वाली मोहतरमा सबा नक़वी हों या फिर हिन्दू कालेज के प्रोफेसर रतन लाल हों.

ममता बनर्जी की चहेती सांसद महुआ मोइत्रा लिब्ररल लॉबी की नेता तो हैं ही संसद में सबसे पंगे लेने के लिए भी जानी जाती हैं लेकिन इस बार तो उन्होंने सारी सीमा लांघते हुए शांति प्रिय समुदाय का हिमायती बन कर महादेव का मजाक बना दिया, सनातन का उपहास करने से पहले इन्होंने एक बार भी नहीं सोचा कि वो देश के करोड़ों हिंदुओं की आस्था का मजाक उड़ा रही हैं. अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘उम्मीद है खुदाई की सूची में अगला नाम ‘भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर’ का नहीं है.

इनके बाद उन पत्रकार का नंबर आता है जिनके निशाने पर दिन-रात हिंदु धर्म और उसके लोग रहते हैं. अंग्रेजी में हिंदुओं को कलप्रेट बनाने और हिंदु धर्म का मजाक बनाने में इन जैसे पत्रकारों ने तो मानों महारत हासिल कर ली है. व्हाट्स एप फ़ोरवर्ड के नाम पर इन्होंने ट्विटर पर शिवलिंग के साथ भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर की फ़ोटो डालते हुए शिवलिंग का मजाक बनाया और कहा कि यहां एक बड़ा शिवलिंग मिला है. हालांकि ट्रोल होने के बाद उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया था.

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत प्रोफेसर डॉ. रतन लाल ने तो जो टिपण्णी की है वो वो आप सोच भी नहीं सकते . ज्ञानवापी शिवलिंग पर अभद्र टिप्पणी करते हुए रतन लाल ने कहा कि “अगर यह शिवलिंग है तो लगता है इसका खतना हो चुका है”। दिल्ली विश्वविद्यालय में पूरे देश के छात्र पढ़ाई के लिए आते हैं लेकिन इस विश्वविद्यालय में कई ऐसे प्रोफसर हैं जो समाज के लिए किसी दानव से कम नहीं है. सवाल ये कि क्या इतनी हिम्मत मोहम्मद के खिलाफ किसी की बोलने की है ? विडंबना देखिए सभ्य समाज जब ऐसे जहर घोलने वाले शिक्षकों के खिलाफ कुछ भी बोलता है तो वामपंथी गैंग तुरंत यह राग अलापना शुरू कर देता है कि हमें डराया जा रहा है, हमारी अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला किया जा रहा है. जबकि ये किसी से छिपा नहीं है दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज चाहे वो हिन्दू कॉलेज हो या फिर मिरांडा हाउस इन कॉलेजों में आपको कई ऐसे प्रोफसर मिल जाएंगे जो क़ॉलेजों में पढ़ाई के बजाय वामपंथी और हिन्दू विरोधी राजनीति का बीज छात्रों के मन में बोने का काम करते हैं.

हम तो सरकार से यही विनती करेंगे कि सरकार ऐसे शिक्षकों की जांच करवाएं. जिनका मकसद हिन्दू धर्म को अपमानित करना और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों को आगे बढ़ाना होता है. ऐसे शिक्षकों को किसी आतंकवादी से कम नहीं कहा जा सकता .क्योंकि सच्चाई यही है कि हजारों अनपढ़ आतंकियों से ज्यादा कहीं खतरनाक एक शिक्षित आतंकवादी होता है ।

आखिर में कुछ सवालों के साथ आपको छोड़ जाते हैं कि इस देश में हिंदु देवी-देवताओं का मजाक बनाना इतना आसान क्यों है? क्योंकि जब-जब किसी हिंदु ने इस्लाम पर टिप्पणी की तो उन्हें अपनी जान गवानी पड़ी है. हाल ही में कट्टरपंथियों के हाथों मारे गए किशन भारवाड़ और कमलेश तिवारी का नाम भूला नहीं जा सकता. इसलिए भारत सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कानून बनाने की जरुरत है.

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