‘जब रोम जल रहा था, नीरो बांसुरी बजा रहा था’ ये कहावत रोमन सम्राट नीरो के बारे में मशहूर है. लेकिन आज कुछ ऐसी ही हालत कांग्रेस शासित प्रदेश राजस्थान की हो गई है. कभी वीरों की धरती रही राजस्थान इन दिनों हिंदुओं के लिए नरक बनती जा रही है, हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं, मंदिरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है. कांग्रेस सरकार की तरफ से जिहादी मानसिकता के लोगों को बढ़ावा दिया जा रहा है और हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ता ही जा रहा है. इन सबके बीच सूबे के मुखिया अशोक गहलोत मानो चैन की बांसुरी बजा रहे हैं. कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है. गहलोत जी करें भी तो क्या देखा जाए तो उनकी डोर तो किसी और के ही हाथों में हैं, जब तक हाईकमान से कोई आदेश नहीं मिल जाता गहलोत जी तमाशा देखने के अलावा और कर भी क्या सकते हैं.
उनके युवराज यानी राहुल गांधी नेपाल में कूल-डूड हंक बनकर पार्टी कर रहे हैं तो दूसरी तरफ ईद के दिन कांग्रेस के राज में राजस्थान जल रहा है, पहले करौली और अब जोधपुर को हिंसा की आग में झोंक दिया गया है. राजस्थान में कांग्रेस की सरकार के आने के बाद से स्थिति बेहद भयावह हो गई है। कभी सालासर बालाजी के पास राम दरबार की मूर्तियों के भव्य पत्थर के प्रवेश द्वार को रात के अंधेरे में तोड़ा जाता है तो कभी गहलोत सरकार दंगाईयों को सरकारी दावतों में शामिल करते हैं. कांग्रेस सरकार भले हीं अपनी वाहवाही करे पर सच्चाई यही है की गहलोत सरकार कानून व्यवस्था में पूरी तरह से फिसड्डी साबित हो गई. ईद से कुछ घंटे पहले जोधपुर में सांप्रदायिक तनाव फैल गया, भगवा फाड़ा गया, नारे लगाए जा रहे हैं, हिंदुस्तान में रहना होगा तो अल्ला हु अकबर कहना होगा. ऐसे में सरकार और कानून व्यवस्था पर उंगली उठना लाजिमी है क्योंकि पुलिस मूकदर्शक की तरह तमाशा देख रही है , इंटरनेट के कनेक्शन काट दिए गए है ताकि इस्लामीकरण की खबरें बाहर नहीं जा सका.
दरअसल, हिंदू नव वर्ष की शुरूआत में हिंदू समाज की तरफ से करौली जिले में एक बाइक रैली निकाली गई थी। जैसे ही यह रैली मुसलमानों के क्षेत्र में पहुंची, मुसलमानों द्वारा रैली पर पथराव कर दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 30 दुकानों में आग लगाई गई, लिंचिंग में एक व्यक्ति की मौत की खबर भी सामने आई. वहीं ठीक इससे पहले मुस्लिम समाज के विरोध के डर और तुष्टीकरण के लिए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स के प्रदर्शन पर राजस्थान की कांग्रेस सरकार द्वारा कोटा में रोक लगाई गई थी। सरकार का इसके पीछे तर्क था कि इससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है इसी वजह से रोक लगाई गई है.
आपको याद दिला दें पिछले साल 2021 के अक्टूबर में भी मुस्लिम समुदाय द्वारा ईद उल मिलाद के अवसर पर जुलूस निकाला गया था। इस दौरान छोटे से विवाद पर पुलिस कर्मियों पर पथराव किया गया। लेकिन अब कांग्रेस और सीएम अशोक गहलोत के कुशासन से जनता त्राहिमाम कर रही है . पिछले पांच सालों में राज्य की नाकामियों से जनता त्रस्त हो चुकी है और कहीं न कहीं आने वाले विधानसभा चुनाव में जनता द्वारा कांग्रेस पार्टी के हार की स्क्रिप्ट भी लिखी जा चुकी है।
वैसे भी ये सब राजस्थान के लिए हर दिन की बात हो गयी है. देखा जाए तो महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल या केरल, जहां भी कांग्रेस या किसी अन्य कथित सेक्युलर पार्टी की सरकार बनती है, यह तमाशा शुरू हो जाता है।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.