कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति दिन-ब-दिन बद से बदतर होती जा रही है। वैसी हालत में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी नेपाल में मनोरंजन कर रहे हैं. जाहिर है युवराज हैं कुछ भी कर सकते हैं उन्हें बोलने वाला कौन है, भले पार्टी में कुछ भी क्यों न हो जाए. लेकिन लगता है कांग्रेस पार्टी को कोई ग्रहण लग गया है क्योंकि बैठे-बिठाए कोई ना कोई परेशानी सामने आ ही जाती है. दरअसल जब राहुल गांधी नेपाल में पार्टी करने में बिजी थी तब ठीक उसी समय बीजेपी अपने काम में जोर-शोर से जुटी हुई थी. बीजेपी की तरफ से भारत में स्मृति ईरानी कांग्रेस के एक और गढ़ को छीनने की कोशिश में जुट गई.

दरअसल केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी मंगलवार को राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र वायनाड के दौरे पर थी. जहां स्मृति इरानी ने न केवल दक्षिण भारत को भगवा रंग में रंगने का उद्घोष किया बल्कि कांग्रेस के युवराज और राज्य में वामपंथ के सबसे बड़े किले को नेस्तनाबुद करने का खाका भी तैयार कर लिया है।

2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने अमेठी को जैसे-तैसे बचा लिया लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के राज कुमार को अपने गढ़ यानि अमेठी में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद राहुल गांधी को अमेठी से भागकर वायनाड में शरण लेनी पड़ी ताकि कम से कम एक सांसद के तौर पर संसद में बैठ सके .

वहीं स्मृति ईरानी ने 2019 में अमेठी में राहुल गांधी को हरा कर बड़ी जीत हासिल की थी. अमेठी में राहुल गांधी को पछाड़ने के बाद स्मृति ईरानी की नजर अब वायनाड पर है जहां उन्होंने दक्षिण भारत को भगवा रंग में रंगने का उद्घोष कर सियासी पारा तो बढ़ा ही दिया है साथ ही कांग्रेसी शहजादे और राज्य की वामपंथी सरकार के किले को ध्वस्त करने का खाका भी तैयार कर लिया है। अगर केरल में बीजेपी की वोट प्रतिशत की बात करें तो 2014 में केरल में बीजेपी का वोट शेयर 10.45 फीसदी से बढ़कर 2019 में 12.93 प्रतिशत हो गया। बावजूद इसके वायनाड जीतने के लिए बीजेपी को काफी मेहनत करनी पड़ेगी. इसलिए स्मृति ईरानी का वायनाड दौरा बीजेपी के लिए केरल में धमाकेदार शुरुआत कहा जा सकता है. और स्मृति ईरानी को वायनाड के दौरे पर भेजना इसी का एक अहम हिस्सा है.

स्मृति ईरानी के वायनाड दौरे का उद्देश्य मुख्य रूप से लोकल लेवल पर बीजेपी कैडर में जान फूंकने के साथ ही अपने कार्यकर्ताओं में 2024 के चुनाव के लिए उत्साह भरना है. कम से कम इतने से बीजेपी वामपंथियों के गढ़ में सेंध तो लगा ही देगी…

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