भारत में कोरोना की भयावह तस्वीरों को बीच सुकून देने वाली अच्छी खबर ये है कि अब दुनियाभर के अलग-अलग मुल्कों से भारत की मदद के लिए हाथ बढ़ रहे हैं, दरअसल भारत की बिगड़ती स्थिति को देखकर दुनिया के कई देशों ने मदद का हाथ बढ़ाया है. अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम समेत अन्य कई देशों ने अपनी ओर से मदद का ऐलान किया, जी हां भारत में कोरोना महामारी की विभीषिका को देखते हुए अमेरिका ने आखिरकार मदद का हाथ आगे बढ़ा ही दिया, अमेरिका भारत की मदद के लिए कोरोना वैक्सीन से जुड़े कच्चे माल पर लगी रोक हटाने को राजी हो गया है। वहीं अमेरिका की ओर से कुल 300 ऑक्सीजन कॉन्सेन्ट्रेटर भारत भेजे गए हैं. अमेरिका की ओर से इनके अलावा वेंटिलेटर, रैपिड किट्स भी भेजी गईं हैं. वहीं UK की ओर से भारत को 600 मेडिकल उपकरण भेजे गए हैं. रविवार को ये सभी ब्रिटेन से रवाना हो चुके हैं इनमें वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कॉन्सेन्ट्रेटर हैं. 

वहीं दुनिया की दो दिग्गज कंपनियां भी संकट की इस घड़ी में मदद के लिए आगे आई हैं। माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला और Google प्रमुख सुंदर पिचाई ने भारत की ओर मदद का हाथ आगे बढ़ाया है। गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने भारत में कोरोना के संकट पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि भारत में बदतर होती जा रही कोरोना वायरस की समस्या को लेकर इसे देखते हुए मेडिकल सप्लाई उपलब्ध कराने के लिए गूगल और गूगल यूजर्स गिव इंडिया, यूनिसेफ को 135 करोड़ रुपये की मदद पहुंचा रहे हैं। गूगल सबसे अधिक संक्रमित समुदायों की मदद कर रहा है। साथ ही महत्वपूर्ण सूचना प्रसारित करने में कंपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। 

वहीं माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला ने कहा कि भारत की मौजूदा परिस्थिति से व्यथित हूं। इस कठिन मौके पर मैं अमेरिकी सरकार के प्रति आभारी हूं कि वह भारत की मदद करने के लिए जुट गई है। माइक्रोसॉफ्ट अपने वॉइस रिसोर्सेस एवं टेक सपोर्ट की मदद से भारत की मदद करने के लिए प्रयास कर रही है। इसके अलावा कंपनी ऑक्सीजन कंसंट्रेशन उपकरणों की खरीद  में मदद कर रही है। 

दरअसल यहां पीएम मोदी की नीतियों की तारीफ करनी होगी क्योंकि उन्ही की वजह से आज इस संकट के समय में भारत को मदद मिल रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी अगर न देशों की मदद न करते तो ये भी भारत की मदद नहीं ये बिल्कुल साफ है. सच्चाई तो ये है कि भारत ने हमेशा दूसरे मुल्कों को मुश्किल वक्त में सुविधाएं मुहैया कराई है,

दरअसल जब भारत में वैक्सीन का निर्यात शुरू हुआ था तब विपक्ष ने पीएम मोदी की जमकर आलोचना की थी उन्होंने आरोप लगाया था कि भारत के हितों का ध्यान नहीं रखा गया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने ये सवाल उठाए थे कि हमने अपनी जरूरतों को ताक पर रख कर दुनिया की मदद की है.लेकिन जाहिर है वैक्सीन निर्यात करना भारत की मजबूरी नहीं बल्कि जिम्मेदारी थी. जाहिर है जिन लोगों ने 6 करोड़ वैक्सीन बाहर भेजने पर छाती पीटी थी , उनके लिए इस मदद का हिसाब लगा पाना मुश्किल हो जाएगा. सवाल ये कि क्या वो लोग जो हो हल्ला मचा रहे थे वो बाहर से आ रही इस मदद को लेंगे ?

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