आज के परिपेक्ष्य मे खिलाफत आंदोलन

ब्रिटिशकाल के दौरान भारतीय नागरि्को पर हो रहे अत्याचार और आजादी पाने के लिए बहुत सारे आंदोलन व सत्याग्रह हुए| खिलाफत आंदोलन उसी तरह का एक आंदोलन नही था बल्की किसी दुसरे इस्लामिक देश पर अंग्रेजोद्वारा किये गये अत्याचारो के खिलाफ भारतीय मुसलमानो द्वारा आंदोलन के जरिये आक्रोश जाहीर किया गया था| ये जरूर है इस आंदोलन कि वजह से बहुत बडा मुस्लिम समुदाय भारत की आजादी के लिये जुड गया, जो पहले बिखरा हुआ था |
खिलाफत आंदोलन क्या था?
ये सही है की, प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की ने मित्र राष्ट्रों के खिलाफ युद्ध किया था. तुर्की के खलीफा को मुस्लिमों के धार्मिक प्रधान के रूप मे माना जाता था| उन दिनों यह बाते फैली थी कि तुर्की पर ब्रिटिश सरकार अपमानजनक शर्तें थोप रही है. इसी का विरोध जताने के लिए 1919-20 में अली बंधु, मौलाना आजाद, हसरत मोहानी तथा हकीम अजमल खान के नेतृत्व में खिलाफत आंदोलन छेड़ा गया!
इनकी तीन प्रमुख मांगें थीं,
आज के दौर मे भी भारत को उन्नत करने के लिये कुछ कानूनो मे बदलावं और कुछ नये कानूनो की जरुरत है, इन कानूनो से किसी धर्म या जाती नुकसान होने वाला नही है बल्की सर्व समावेशी धारणा के साथ विकास के पथ पर आगे बढने के लिये और पडोसी देश जो हमारा बुरा चाहते है उनको एकता के साथ जवाब देने के लिए बहुत जरुरी है!
लेकिन कुछ शक्तिया जो हमारे देश का भला नही देख सकते वे मुसलमानो व कुछ जाती के लोगो मे अफ़वाह फैलाकर अशांती फैलाना चाहते है ताकी देश मे सबके हित के व्यापक निर्णय और कानून ना बने |
सी ए ए कानून के वक्त सबने महसूस किया किस तरह से मुसलमानो को भडकाया गया, उन्हें गुमराह किया गया की उन्हें देश से निकाल दिया जायेया, आज सी ए ए को कानून बने एक साल से उपर हो चुका है, क्या किसी भारतीय मुसलमान की नागरिकता छिन ली गई है या देश से बाहर किया गया है? नही ना, फिर हमारे मुसलमान भाई इन झूठी अफ़वाहो मे फसकर, अशांती का मार्ग अपनाकर, सदभाव को खतम करना उचित है क्या?
जैसे खिलाफत आंदोलन की वजह से सबने मिलकर एकता का परिचय देते हुए ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन मे जुटे थे, ठीक उसी तरह आज एकसाथ आने की जरुरत है ताकी ऐसी शक्तिया जो हमारे देश को विकसित राष्ट्र के तौर पर नही देखना चाहते है बल्की देश को तोडना चाहते है, उन्हें सबक सिखाया जाए, एकता के द्वारा!
आनेवाले दिनो मे जो भी कानून पारित होंगे वे किसी भी भारतीय मुसलमान या जाती के खिलाफ नही होंगे, बल्की समाज और देश मे समरसता, सामाजिक और आर्थिक कल्याण के लिये होंगे|
क्या हमारे देश मे जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरुरत नही है? जरा सोचिये… जिस गती से लोकसंख्या मे वृद्धी हो रही है क्या उस गती से रोजगार निर्मिती हो सकती है? नही, उलटा हम आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड जायेंगे और गलत कार्यो मे रुची लेना शुरु करेंगे!
क्या हमारे देश मे सामाजिक समरसता लाने के लिये “समान नागरिकी कानून “ की जरुरत नही है क्या? असमानता हमेशा विष का काम करती है और सामाजिक सौहार्द को बिगाडती है, दुनिया मे हर देश ने समान नागरिकी कानून को अमल मे लाया है तो हम क्यू न अपनाये?
कश्मीर से 370 हटाने के बाद आज तीव्र गती से शांती की औरं बढ रहा है और विकास का प्रवाह जो रुका हुआ था, आज तेज गती से आगे बढ रहा है!
मुसलमान भाइयों से यही निवेदन है गलत लोगो की बातो मे आकर सही बातो का विरोध न करे बल्की सकारात्मकता का माहोल खडा करे जिसमे हम सबका भला है! पूजनीय सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी यही आशय हाल ही अपने संभाषण के दौरान किया था की संघ के बारे मे मुसलमानो के मन मे जो विष बोया जा रहा है वह पुरी तरह गलत और निराधार है!
आइये, जैसे हम सब सरकारी योजनाओ का लाभ लेते है, इस धरती के सारे संसाधनो का उपयोग निजी फायदे के लिए करते है, उसी तरह सब मिलकर देश को आगे बढाने वाले हर निर्णय का खुलकर स्वागत करे व सामाजिक समरसता का परिचय दे!!
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