अर्णब गोस्वामी एक नाम ही नहीं एक क्रांति है जिसने मीडिया जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई और हमेशा सत्य के साथ खड़े रहे जो कि भारत की पत्रकारिता से बिलकुल ही विपरीत है।
एक तरह जहां देश के अधिकांश मीडिया कुछ राजनीतिक दल के पारिवारिक प्रवक्ता की तरह पत्रकारिता करते रहे हैं वह किसी से छुपा नहीं है।
हम बात करते हैं आज के हालत पर तो जिस दिन से पालघर साधुओं की हत्या हुई और महाराष्ट्र सरकार और प्रशाशन की भूमिका पर प्रश्न चिन्ह लगे उस दिन से अर्णब गोस्वामी कुछ मीडिया हाउस, कुछ राजनीतिक दल के निशाने पर आ गए और यह सिलसिला सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय मौत , दिशा सल्यान की रहस्यमय मौत जैसे घटनाओं के साथ और भी बढ़ता ही रहा।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा लगातार कुछ महीनों से प्रताड़ित होने के वावजूद अर्णब गोस्वामी पर कोई असर नहीं दिखा और वह और भी मुखर होकर सवाल करते रहें।
मुंबई पुलिस की भूमिका हर घटना में हास्यास्पद रही है और इसमें कोई दो राय नहीं है।
आतंकवादियों के खिलाफ, दाऊद इब्राहिम के खिलाफ जिस तरह अर्णब गोस्वामी ने हमला किया, कई लोगों को यह बात चुभ गई होगी क्यूंकि दाऊद इब्राहिम के भी कई ख़िदमतगार तो देश में है ही जिन्होंने दाऊद इब्राहिम को भगाने में भूमिका निभाई होगी।
1993 मुंबई बॉम्ब ब्लास्ट के बाद जो वोहरा कमेटी बनाई गई थी उसमें कुछ नेताओं के भी नाम है जो सार्वजनिक नहीं की गई है। वोहरा कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होने की मांग तेज हो गई है।
मैं स्पष्ट कर दूं कि इस केस में वोहरा कमेटी का कोई लेना देना नहीं है।
टीआरपी कांड में भी मुंबई पुलिस ने साजिश के तहत अर्णब गोस्वामी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जबकि इस केस में कुछ अन्य मीडिया हाउस का नाम था।
अर्णब गोस्वामी को उस जेल में रखा गया था जहां बड़े बड़े आतंकवादी है और जिस केस में उन्हें फंसाया गया था वह 2 वर्ष पूर्व का मामला है जो कि बंद हो गया था।
सारे प्रकरण में कानून, संविधान की धाज्जियां उड़ाई गई है क्यूंकि एक इन्सान जो सत्य के लिए आवाज उठा रहा है उसकी आवाज़ को दबा दिया जाय।
इस विषय पर चर्चा खत्म नहीं हो सकती इसलिए अपने लेख को बस इतना लिखते हुए विराम लगा रहा हूं कि एक देशभक्त अपनी जान की बाजी लगा चुका है और अब यह हमारा कर्तव्य है कि एक और चन्द्र शेखर आजाद शहीद ना हो ताकि सत्ता की मलाई तानाशाहों को मिले।
सुप्रीम कोर्ट में अर्णब गोस्वामी को जीत मिली है यह सिर्फ देशभक्तों के साथ आने पर संभव हो पाया है और सुप्रीम कॉर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं।

जननायक है अर्णब गोस्वामी जननायक है।

जन जन की बात।
अमित कुमार के साथ।

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