एन एन वोहरा आयोग : रिपोर्ट जिसके खुलते ही ध्वस्त हो सकती है महाराष्ट्र सरकार : राजनेताओं और अपराधियों के गठजोड़ का खुलासा
लाख कोशिशों के बावजूद आज 23 साल बाद भी ये सारा सच और आयोग की रिपोर्ट धूल फांक रही है।
लाख कोशिशों के बावजूद आज 23 साल बाद भी ये सारा सच और आयोग की रिपोर्ट धूल फांक रही है।
कांग्रेस की सरकारों , राजनेताओं और इनके सारे लगुओं भगुओं ने अपने कुकर्मों ,अपने पापों ,अपने अपराधों ,साजिशों पर पर्दा डालने के लिए हमेशा से ही सभी नियम और कानूनों को ताक पर रख कर अपनी मनमानी की है और देश के करोड़ों लोगों से उन सभी सच को छुपाया जो खुद इन सरकारों के ताबूत की आखरी कील साबित होता।
वर्ष 1993, मुम्बई में आतंकी हमले होते हैं। इन हमलों में दाऊद इब्राहिम सहित तमाम अंडरवर्ल्ड की साजिश और उनके साथ नौकरशाह , पुलिसकर्मी और यहाँ तक कि बड़े राजनीतिक संरक्षण के गठजोड़ और संरक्षण देने का एक बहुत बड़ा संदेह सामने आया।
बवाल बढ़ने पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार के गृह सचिव श्री एन एन वोहरा आयोग का गठन किया गया और इन सारे तथ्यों और इनके पीछे छिपे सच को बाहर लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस आयोग में उनके साथ रॉ और आइबी के सचिव, सीबीआई के निदेशक और गृह मंत्रालय के विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा एवं पुलिस) भी शामिल थे।
सरकार इस रिपोर्ट से अपनी कलई खुल जाने के डर से इसे सामने लाने से बार बार सामने आने से रोकने लगी तो आखिरकार न्यायालय की शरण में जाना पडा। मगर केंद्र सरकार भी इसे बाहर नहीं लाने सार्वजनिक नहीं करने की अपील के साथ सीधा सर्वोच्च न्यायालय पहुँच गई जहां अदालत ने सरकार के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए कह दिया कि सरकार को इसके लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
इसके बाद , सैकड़ों बार राजनीतिक हलकों , प्रशासन , और खुद न्यायपालिका ने वोहरा आयोग की रिपोर्ट और उसमें हुए उजागर सच से राजनेताओं , नौकरशाहों के अपराधियों ,माफिया डॉन से संबंधों को रेखाकिंत करते हुए टिप्पणियाँ की।
अब भाजपा नेता और विख्यात अधिवक्ता श्री अश्विनी उपाध्याय जी ने सरकार से इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करके इस सारे षड्यंत्र को ,सच को , सामने लाने ,उसे सार्वजनिक करने की मांग जोर शोर से उठा दी है और कहा जा रहा है कि यदि ये रिपोर्ट सार्वजानिक हुई तो महाराष्ट्र की राजनीति में सुनामी आ जाएगी ,जो सरकार और स्थानीय सत्ता को पूरी तरह ध्वस्त कर देगी।
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2 Comments
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सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं देश की राजनीति बदल जाएगी
आखिर नेताओं को क्यूं बचाया गया।
नेताओं के हाथों में ही था सब , उनकी अपनी फंसी हुई गर्दन भी और इस मामले में सभी एक ही थैली के चट्टे बट्टे भी हैं | मगर हैरानी न्यायालय के रुख और आदेश पर हुई जिसने नेताओं की इस कारस्तानी को बाहर आने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई