ये बात कोई साधारण सी बुद्धि रखने वाला इंसान भी बता सकता है कि , महाराष्ट्र में सरकार के दबाव /निर्देश में एक चैनल , उसके पत्रकार के विरूद्ध स्थानीय पुलिस जो भी जैसा भी कर रही है वो , प्रतिशोध है , षड्यंत्र है और किसी भी स्थिति में ये “न्यायिक कारवाई ” नहीं है। नहीं है। नहीं है
अर्नब गोस्वामी को सिर्फ और सिर्फ तीखे , प्रखर सवाल पूछने , सीधे उच्च अधिकारियों और उनके आकाओं तक की आँखों में आँखें डाल कर प्रश्न करने और सबसे अधिक हिन्दू , सनातन , राष्ट्र , देश के हित के लिए ,उनके न्याय के लिए अपनी आवाज़ उठाने वो भी लगातार , रोज़ रोज़ उठाने की कीमत चुकानी पड़ रही है ?
और ये एक बहुत ही गंभीर इशारा , एक चेतावनी , एक धमकी है उन तमाम लोगों , संस्थाओं , मीडिया संस्थानों के लिए , और इस देश के एक एक व्यक्ति के लिए सीधे सीधे एक अल्टीमेटम है कि -देख लो , ये जो व्यक्ति 100 करोड़ हिन्दुस्तानियों की आवाज बन कर लगातार गरज रहा था था उसे किस तरह से और कैसे कैसे कितना दबाया ,सताया और प्रताड़ित किया जा सकता है और किया जाएगा ?
अर्नब को बेशक एक आपराधिक मुक़दमे में फँसा कर और कानून की उपलब्ध व्यवस्थाओं की आड़ में उन्हें लगातार परेशान करने , टॉर्चर करने और सबसे अधिक स्थानीय पुलिस और शासन की हनक दिखाने की जो घटिया साजिश चल रही है वो अनंत काल तक नहीं चलने वाली है।
देर सवेर , न्यायिक प्रक्रियाओं के अनुसार अर्नब को जमानत भी मिल जाएगी , लेकिन तब तक
अर्नब को सत्ता ,पुलिस प्रताड़ित करके , उन्हें पूरी तरह तोड़ आर हतोत्साहित कर दिया जाएगा
सिर्फ अर्नब ही नहीं , सच के साथ खड़े होने , देश की बात करने ,सनातन के लिए लड़ने -की सोचने वाले हर व्यक्ति हर इंसान का मनोबल गिर चुका होगा
देश की अन्य सभी क्षेत्रीय पार्टियां इस घटना से अपनी हिम्मत इतनी बढ़ा चुकी होंगी फिर आए दिन कोई रिपब्लिक , कोई ऑप इंडिया ,कोई क्रेतली , कोई अर्नब ,कोई दीपक चौरसिया और इन जैसे तमाम को कभी अपनी सत्ता की ताकत के नीचे दबा सकेगा
अब जब तक अर्नब इस दुश्चक्र से निकल कर बाहर नहीं आ जाते , उनके जीवन पर बढ़ता संकट धीरे धीरे अधिक गहराता जा रहा है और इस संकट के बदल को , इस खतरनाक आहट को , उसके पदचाप को अपने नजदीक आते हुए महसूस करिए।
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