कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति करने का काफी पुराना इतिहास रहा है,  तुष्टीकरण के सहारे ही कांग्रेस अपनी सियासी नैया पार लगाने की कोशिश कर रही है जिसकी तस्वीरें गाहे-बगाहे सामने आ जाती है, बात चाहे राजस्थान की करें या फिर झारखंड की. कांग्रेस के तुष्टीकरण के सबूत दिख ही जाते हैं. दरअसल राजस्थान से एक ऐसी ही तस्वीर सामने आ रही है जिसमें सांप्रदायिक दंगों के आरोपी की राजस्थान की गहलोत सरकार खूब आव-भगत कर रही है . हाल ही में राजस्थान में हिन्दुओं के साथ हुई हिंसा के बाद यह बात साफ़ हो गई है कि राजस्थान की गहलोत सरकार हिंसा में शामिल लोगों की मदद कर रही है उन्हें सियासी सरंक्षण देकर बचा रही थी. ऐसे में जो तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई है वो इस बात को और पुख्ता कर देती है.

गहलोत सरकार की रोजा-इफ्तार पार्टी में दंगे का मुख्य आरोपी खुलेआम दावते उड़ाता दिखता है . रोज़ा इफ्तार पार्टी में छाबड़ा हिंसा के मुख्य आरोपी आसिफ असाढ़ी शामिल हुआ। पूरे कार्यक्रम के दौरान आसिफ ने मंत्रियों और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ तस्वीरें भी खिंचवाईं। हालांकि अब आसिफ की सीएम हाउस में इफ्तार पार्टी में मौजूदगी को लेकर सियासी पारा बढ़ता ही जा रहा है ।

साभार-ट्वीटर

इधर पूर्व मंत्री और छबड़ा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने छाबड़ा हिंसा आरोपी के मुख्यमंत्री की रोज़ा इफ्तार पार्टी में मौजूदगी को चिंता का विषय बताया है। सिंघवी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को टैग करते हुए एक ट्वीट भी किया है। इसमें उन्होंने स्थानीय अखबार में छपी खबर का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा है, “विडंबना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राजकीय आवास पर सांप्रदायिक दंगों के आरोपित की मेजबानी की जा रही है. कांग्रेस की ऐसी सोच निहायत शर्मनाक और बहुसंख्यक समाज के लिए अपमानजनक है। जनता सब देख रही है, समय आने पर सारा हिसाब होगा।”

वहीं जब कांग्रेस हर तरफ से घिरने लगी तब राज्य के मंत्री महेश जोशी ने बीजेपी के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि “सीएम आवास पर इफ्तार पार्टी में हजारों की संख्या में लोग जमा थे। हमें इस मुद्दे से आगे बढ़ना चाहिए। कोई भी मेरे साथ फोटो क्लिक कर सकता है, लेकिन अगर वह कानून का उल्लंघन कर रहा है तो उसे सजा मिलनी चाहिए।”

बता दें आपको राजस्थान के बारां जिले के छबड़ा में 11 अप्रैल 2021 को सांप्रदायिक हिंसा भड़की थी जिसमें छबड़ा कस्बे में दो युवकों की छुरा घोंपकर हत्या कर दी गयी थी और हिंसा के दौरान कई गाड़ियों और दुकानों में तोड़फोड़ के साथ आगजनी की गई थी। पूरे घटनाक्रम को लेकर हस्सान खान पार्षद, आसिफ असाढ़ी, आलम मंसूरी, शकील अहमद और राजा खान को आरोपी बनाया गया था। आसिफ को पुलिस ने 7 प्रकरणों में आरोपी बनाया है, जबकि हस्सान खान राजनीतिक दबाब की वजह से केस से अपना नाम हटवाने में कामयाब रहा ।

जाहिर है दंगे के आरोपी का गहलोत सरकार की इफ्तार पार्टी में शामिल होना ये साबित करता है कि सरकार सीधे-सीधे अपराधियों को संरक्षण दे रही है। सत्ता के संरक्षण की वजह से पुलिस भी उनपर हाथ डालने से पहले सौ दफे सोचती है. जिस आसिफ असाढ़ी को जेल के सलाखों के पीछ होना चाहिए वो सीएम के घर दावतें उड़ा रहा है. ये है कांग्रेस राज, वैसे मुस्लिम वोट पाने के लिए कांग्रेस को ऐसी दोस्ती से भी कोई परहेज नहीं है. बस ये तस्वीरें उसी दोस्ती का एक छोटा से हिस्सा है .

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