4 जनवरी को को नक़ली किसान नेताओं और सरकार के बीच चली सातवें दौर कि बातचीत भी फेल हो गई अब आज यानी 8 जनवरी को फिर से बातचीत होगी और आठवें दौर कि बातचीत भी निश्चित तौर से फेल हो जाएगी क्योंकि 3 कृषि बिल है तो किसानों के हित के पर अफसोस विनाशकाले विपरीत बुद्धि वामपंथियों खान्ग्रेश वो विपक्ष के बहकावे में आकर मुठ्ठी भर लोग राष्ट्र झुकाने की जिद्द पर अड़े हुए हैं।
जो मांग MSP की 100% की खरीद गारंटी तो सरकार की तो बात छोड़ो धन के देवता कुबेर भी ये मांग पूरी नहीं कर पाएंगे। क्योंकि अभी तक जो भी MSP पर पूरे देश में खरीद होती वो 6% के आसपास ही है जिसका सबसे ज्यादा फायदा भी पंजाब हरियाणा व पश्चिमी UP के ही किसान उठाते हैं। इसी 6% MSP पर खरीदें गए अनाज से ही सरकार खाद्य सुरक्षा नियम के अंतर्गत गरीबों को 3रू किलो गेहूं 2रू किलो चावल वह 1रू किलो मोटा अनाज राशन कार्ड के जरिए वितरण करती है जिसका सरकार के खजाने पर डेढ़ लाख करोड़ रु खर्च होता है। सरकार 6 करोड़ छोटे किसानों को हर साल 6 हज़ार रुपए सीधे उनके खाते में भेजती है।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.