अजीब विडंबना है एक तरफ जहां 10 जुलाई को बकरीद से पहले भारत में AIUDF अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल ने मुसलमानों से ईद उल अजहा पर गाय की कुर्बानी न देने की अपील करते हुए कहा कि ‘हिंदू गाय की पूजा करते हैं, इसलिए उनकी भावनाओं का वो सम्मान करें’। वहीं पाकिस्तान से एक ऐसा वीडियो सामने आया है जिसे देखकर आपका दिल दहल जाएगा .

पाकिस्तान में बकरीद के मौके पर गाय को ज़बह करने से पहले उसे क्रेन से काफी ऊंचाई से नीचे जमीन पर पटका जाता है, जिससे उसकी हड्डियां टूट जाएं। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि रॉयटर्स इस बर्बरता को ‘Lifestyle’ की श्रेणी में दिखा रहा है। वहीं वीडियो में बैकग्राउंड म्यूजिक भी बज रहा है। लेकिन हिंदुओं के खिलाफ अपना प्रोपेगेंडा चलाने वाली, मानवाधिकार से लेकर पशु अधिकार तक जैसी चीजों के लिए भारत और हिंदुओं को कोसने वाली Reuters के लिए ये मात्र एक ‘रीति-रिवाज’ है। इसमें रॉयटर्स को किसी तरह की कोई क्रूरता नहीं दिखती, उलटा वो लोगों को ये वीडियो ऐसे दिखा रहा है जैसे ये कोई खेल हो।

अब ऐसे में सवाल ये कि आज कहां है PETA ? वही जिसे भारतीय शादियों में दूल्हे के घोड़ी चढ़ने पर घोर आपत्ति थी, जिसका PETA ने ये कहते विरोध किया था कि  “घोड़ियों का विवाह में उपयोग क्रूर है और अनैतिक है”. लेकिन जब आज हिंदु धर्म में पूजे जाने वाली वाली गौ माता के साथ इस तरह की क्रूरता की जा रही है तो आज PETA ने चुप्पी साध ली है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक Reuters मजे लेकर इसका वीडियो दिखाते हुए पूछ रहा है कि क्या आपने कभी किसी गाय को इस तरह क्रेन से ले जाए जाते हुए देखा है? साथ ही उसने पाकिस्तान के कराची में हर साल होने वाली इस जघन्य वारदात का अलग-अलग एंगल से वीडियो भी शूट किया। इसके बाद वो उस सैयद एजाज अहमद को भी वीडियो में शामिल करता है जो उसकी नजर में ‘पशुपालक’ है। फिर वो ईद उल-अज़हा के मौके पर गाय को रस्सियों से जकड़ कर हत्या के लिए ले जाए जाते हुए दिखाता है।

जिस बेरहमी से इस गाय को जमीन से 40 फीट ऊपर क्रेन से उठा लिया जाता है, ये देख कर किसी का भी दिल दहल जाए। इसके बाद Reuters ये दिखाता है कि कैसे वहां मौजूद लोगों के लिए ये किसी मनोरंजन से कम नहीं है. Reuters की नज़र में एक व्यक्ति द्वारा हर साल की जाने वाली ये क्रूरता ‘प्रथा’ है, जो 18 सालों से चली आ रही है। सबसे बड़ी बात कि इसे देखने के लिए बड़ों के अलावा कई बच्चे भी आते हैं। उन लोगों का कहना है कि जानवरों को इस तरह क्रेन से जमीन पर पटकते देखना बेहद ‘आनंददायक’ होता है।

इस वीडियो के वायरल होने के बाद अब सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि आज PETA कहां सो रहा है ? जो पशु अधिकार की रक्षा के नाम पर हिन्दुओं को गाली देता फिरता है। क्या Reuters और PETA जैसी संस्थाएं सिर्फ हिन्दु और उनके त्योहारों दीवाली और होली के खिलाफ ही अपना एजेंडा थोपने और भला-बुरा कहने का अधिकार रखती हैं?

वैसे भी अगर पेटा के इतिहास को देखें तो इसने भारतीय संस्कृति के खिलाफ सबसे ज्यादा अभियान चलाया है। पशु अधिकार की बात करने वाले पेटा ने ही गौवंश के खिलाफ एजेंडा चलाया , जल्लीकट्टु खेल से लेकर दिवाली में पटाखे जलाने के मुद्दे पर पेटा का रुख हिन्दू विरोधी रहा है। होली में पानी बचाने के अभियान में भी पेटा की विशेष भूमिका रही है।

ऐसे में लगातार PETA ने हिन्दू विरोधी एजेंडा चलाने का ही काम किया .PETA जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन हिंदुओं के खिलाफ अपना एजेंडा चलाते हैं और एक्शन के नाम पर सिर्फ कुछ ट्विट्स करने का काम करती हैं। अगर वास्तव में PETA को पशुओं के अधिकारों की इतनी ही चिंता है तो उसे बिना धर्म की परवाह किए सभी मामलों पर खुलकर अपनी राय रखनी चाहिए। दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए ना कि भेदभाव करना चाहिए !

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