3 दिसंबर अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस
हर साल 3 दिसंबर को दुनियाभर में विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मुख्य रूप से दिव्यांगों के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है।
डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि एक अरब से अधिक लोग यानी दुनिया की आबादी का लगभग 15% लोग किसी न किसी प्रकार की दिव्यांगता का से ग्रसित हैं। इस आंकड़े को बढ़ती हुई उम्र बढ़ने और गैर-संचारी रोगों के प्रसार में वृद्धि का अनुमान है। जिनमे से लगभग 80 प्रतिशत लोग विकासशील देशों में रहते हैं। यह आंकड़ा जनसंख्या वृद्धि के साथ बढ़ने और गैर-संचारी रोगों के प्रसार में वृद्धि का अनुमान है। सतत विकास में वर्ष 2030 के एजेंडा “किसी को पीछे न छोड़ने” में दिव्यांगता को भी शामिल किया गया है।
भारत में कुल आबादी के करीब 2.68 करोड़
दिव्यांग व्यक्तियों में आम तौर पर दूसरों की तुलना में अधिक स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता होती है। सामान्य व्यक्तियों की तुलना में, दिव्यांग व्यक्तियों के स्वास्थ्य के खराब होने की संभावना अधिक होती है। भारत में जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में दिव्यांग व्यक्तियों की कुल संख्या 2.68 करोड़ है, जिनमें से 1.71 करोड़ है गैर-श्रमिक हैं।
दिव्यांगता से पीड़ित लोगों के साथ कलंक, भेदभाव और दिव्यांगता के बारे में अज्ञानता के कारण हिंसा का ज़ोखिम अधिक रहता है इसके साथ ही साथ उनकी देखभाल करने वाले लोगों के साथ सामाजिक सहयोग का अभाव भी होता है। दिव्यांगता से पीड़ित बच्चों के साथ सामान्य बच्चों की तुलना में चार गुना हिंसा अधिक होने की संभावना होती है।लेकिन ऐसे लोगों को आत्मनिर्भर बनाने और मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सरकार और कई गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से सराहनीय पहल की जा रही है।
दिव्यांगता से पीड़ित व्यक्तियों के लिए मोदी सरकार की ओऱ से किए जा रहे विशेष प्रयास
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (एमओएसजेई), भारत सरकार ने दिव्यांगता से पीड़ित व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) को सहायता प्रदान करने के लिए कई विधियों/कानूनों तथा नियमों/विनियमों का गठन किया है। एमओएसजेई, भारत सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार किसी भी अनुदान या लाभ के लिए किसी व्यक्ति में न्यूनतम दिव्यांगता पात्रता चालीस प्रतिशत होनी चाहिए।
सार्वभौमिक प्राप्ति के लिए सुगम्य भारत अभियान (सुगम्य भारत अभियान) राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत की है, जो कि समाज में दिव्यांग व्यक्तियों को समान अवसर और आत्मनिर्भरता तथा जीवन के सभी क्षेत्रों में भागीदारी के लिए पहुंचनीयता प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने कुछ रोगों जैसे कि अंधापन, पोलियो, कुष्ठ रोग, ट्यूबरक्लोसिस/क्षय रोग/तपेदिक, जापानी एन्सेफलाइटिस, मानसिक स्वास्थ्य की रोकथाम और नियंत्रण, मातृ एवं बाल स्वास्थ्य, टीकाकरण, चिकित्सा महाविद्यालयों में भौतिक चिकित्सा पुनर्वास केंद्रों के सुदृढ़ीकरण एवं प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के स्तर पर जागरूकता उत्पन्न करने में आशा तथा जिला स्तर पर जिला दिव्यांगता पुनर्वास केंद्र (डीडीआरसी) के साथ समन्वय के लिए कई कार्यक्रमों का गठन किया है।
सरकार ने उनके सशक्तिकरण और समावेश के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने दिव्यांगव्यक्तियों के अधिकार अधिनियम (आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम), 2016 लागू किया है जो 2017 से प्रभावी है। यह सरकारी सीटों में कम से कम 5% से आरक्षण प्रदान करता है। उच्च शिक्षा संस्थानों की सहायता और सरकारी में कम से कम 4% से आरक्षण है। पीडब्ल्यूडी शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, मनोरंजन और खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
सरकार की तरफ से दिव्यांगजनों की पहचान के लिए यूनिवर्सल आईडी नंबर जारी किये गये हैं। 24 राज्यों ने अब तक करीब 24 लाख यूनिवर्सल आईडी तैयार किये हैं।
सरकार ने बीते साढ़े पांच वर्षों में दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं तैयार की है। दिव्यांगजनों के लिए 83 हज़ार कैंप लगाएं हैं। 14 करोड़ दिव्यांगजन लाभार्थी के लिए 875 करोड़ रुपए की सामग्री उपलब्ध कराई है। 4 फीसद आरक्षण दिए हैं और उच्च शिक्षा में भी दिव्यांगजनों के लिए 5 फीसद आरक्षण की सुविधा सुनिश्चित की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2015 में दिव्यांगगों को दिव्यांग कहने की अपील की थी। जो विशेष रूप से सक्षम लोगों की विशेष क्षमताओं की ओर इशारा करता है साथ ही समाज के हर वर्ग से अपील करता है कि वो अपने नज़रिए को सकारात्मक की ओर ले जाएं।
समाचार संकलन सूत्र : हिंदुस्तान समाचार से साभार
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