देश भर के तमाम शिक्षण संस्थान पढ़ाई करने के लिए होते हैं ना कि अपनी मजहबी प्रैक्टिस को दर्शाने के लिए.. सरकारी शिक्षण संस्थानों में छोटा पजामा बड़ा कुर्ता और सिर पर जालीदार टोपी लगाकर कई सारे लोग स्कूल आते हैं जबकि सरकारी शिक्षण संस्थानों मे अपने मजहब की इस प्रेक्टिस को नहीं दिखाना चाहिए।

कर्नाटक के एक स्कूल में विवाद हुआ था कि सिर पर हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं के बदले स्कूल में छात्र भगवा चोला ओढ़कर आ गए थे अब ऐसा ही एक विवाद कर्नाटक की उडुपी में दूसरे स्कूल में हुआ है जहां स्कूल प्रशासन ने छात्राओं को हिजाब पहनकर आने पर रोक लगा दी है।

 उडुपी जिले के कुंडापुर के भंडारकर कॉलेज में हिजाब पहनी छात्राओं को कालेज में प्रवेश करने से रोक दिया गया। बताया जा रहा है कि, कॉलेज में बुर्का या हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं को भंडारकर्स कालेज के प्राचार्य ने प्रवेश द्वार पर रोक दिया। प्राचार्य ने छात्रों से कहा कि, शासन के आदेश व कालेज के दिशा-निर्देशों के अनुसार उन्हें कक्षाओं में यूनिफॉर्म में आना होगा। इस पर छात्राओं का तर्क था कि वे लंबे समय से हिजाब में कालेज आ रही हैं, और उन्हें अनुमति दी जानी चाहिए। लेकिन प्राचार्य ने उनके कालेज में प्रवेश से इनकार कर दिया।

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