आठवीं सदी,
ललितादित्य के बाद कोई भारतीय सम्राट नहीं हुआ जो मुस्लिमों को सिंधु के उस पार रोक सके। इस्लामिक साम्राज्य सातवीं सदी में विश्व के शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था, बाईज़न्टाइन साम्राज्य जिसकी राजधानी क़ुस्तुंतुनिया (वर्त्तमान इस्तानबुल) को 6 माह में पराजित कर दिया। फारस (पर्शिया) जैसे शक्तिशाली साम्राज्य को 637 इसवी में पराजित कर दिया। यही इस्लामिक साम्राज्य भारत को 69 साल के निरंतर आक्रमण से भी भेद नहीं पाए। 712 ईसवी में व्यापारियों व् कुछ स्थानीय गवर्नर के सहयोग से बिनकासिम पहली बार सिंध को पराजित कर पाया। उत्तर सिंध व् पंजाब की ओर बढ़ते हुए अरब 724 में कश्मीर पहुँच गए, लालतादित्य की तलवार को पराजित कर पाना असंभव था, 730 इसवी में ललितादित्य ने अफ़ग़ानिस्तान को जीत लिया था। ग्यारहवीं सदी, मुहम्मद ग़जनी भारत में लुट, चोरी करता रहा, सोमनाथ पर आक्रमण इसी ने शुरू किया था

बारहवीं सदी के अंत में पृथ्वीराज आए, इनका हृदय सागर से भी विशाल, इन्होंने तराई के पहले युद्ध में मुहम्मद गौरी को सिर्फ़ इसलिए छोड़ दिया था क्यूँकि गौरी ने पीठ दिखा दी, और ये वीर पीठ पर कैसे वार करते। दूसरे युद्ध में गौरी दिल्ली पहुँच गया और ये रानी के महल से निकल नहीं पा रहे थे, अति आत्मविश्वास में गौरी से पराजित हो गए, गौरी इन्हें उठा ले गया, आँखें निकाल ली इनकी, चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता ऊपर सुल्तान है मत चुको चौहान। आपको बुरा लगेगा पर चंदरवरदायी हमें मूर्ख बना रहे हैं, पृथ्वीराज मूर्ख था कुत्ते की मौत मारा गया, और इसका कारण शत्रु के प्रति दयालुता थी।

चौदहवीं सदी के प्रारम्भ में रिंचन लदाख से भाग कर कश्मीर आया, यह बौद्ध था। इसने वर्तमान सम्राट रामचंद्र की हत्या कर दी उसकी बेटी कोटा रानी से विवाह किया। हिंदू कश्मीर में समर्थन प्राप्ति के लिए उसने बौद्ध से हिंदू धर्म अपनाना चाहा जिसे अस्वीकार कर दिया गया, क्यूँकि ये रामचंद्र की हत्या कर सम्राट बना था। फिर इसने सूफ़ि मिशनरियों के सम्पर्क में आकर इस्लाम में धर्मांतरण करा लिया। सूफ़ियों ने कश्मीर के हिंदुओं का इस्लाम में धर्मांतरण प्रारम्भ किया। रिंचन के ख़िलाफ़ विद्रोह हो गया और वह बुरी तरह ज़ख़्मी हो गया, जिससे रिंचन की मृत्यु हो गयी। रिंचन मृत्यु के पूर्व कोटा रानी और उसके पुत्र हैदर की सुरक्षा का दायित्व अपने विश्वसनीय शाह मीर को दिया था। कोटा रानी ने पुनः उदयनदेव से दूसरा विवाह कर लिया। शाह मीर ने विद्रोह कर दिया, कोटा रानी अंत में आत्महत्या कर लेती है क्यूँकि शाह मीर कोटा रानी से विवाह करना चाहता था।

शाह मीर ने भारत व कश्मीर में इस्लाम के रास्ते खोल दिए। यहीं से प्रारम्भ हुआ रेप, हत्या, धर्मांतरण। शाह मीर के बाद आया सिकंदर शाह मीर, इसने कश्मीर के ललितदित्य निर्मित विशाल मार्तण्ड सहित सभी बड़े मंदिरों के टुकड़े-टुकड़े कर दिए, शिव विष्णु की प्रतिमाओं को तोड़ कर मिट्टी में दफ़न कर दिया, इसने स्वयं को सिकंदर बुतशिकन (बुत तोड़ने वाला) से नवाज़ा। कश्मीर के इस्लामीकरन में सबसे अधिक योगदान सूफ़ी मिशनरियों का है, भारत मे उसके बाद कई मुस्लिम आक्रमण हुए गौरी का जनरल कूतब उद्दीनऐबक दिल्ली का सुल्तान बना। सोलहवीं सदी के प्रारम्भ में मुग़ल आए, सत्रहवीं सदी में ईस्ट इंडिया कम्पनी आयी, पानीपत का तीसरा युद्ध हुआ अब्दाली ने मराठा को पराजित कर दिया, चालिस हज़ार से अधिक मराठों के सर तलवार पे लेकर पानीपत में अब्दाली मार्च करता रहा, हमारे बच्चों के उनकी माँ के सामने टुकड़े कर दिए, कई बहनें आत्महत्या कर ली, कई के सामूहिक रेप किए गए। कुछ 50 वर्षों बाद अंग्रेज़ों का मराठा के साथ युद्ध हुआ। हम लड़े, जानते हुए की हम हार जायेंगे पर लड़े, सनातन की रक्षा में लड़े, अंतिम साँस तक लड़ते रहे, पराजय तक।

1857 तक ईस्ट इंडिया कम्पनी ने राज किया। सत्ता का स्थानांतरण ईस्ट इंडिया कम्पनी से ब्रिटिश राज के पास चला गया। 1857 से 1947 तक अंग्रेज रहे। इस हज़ार वर्षों के युद्ध में हम अपनी आधी ज़मीन और आधे लोग इस्लाम और ईसाईयत को हार चुके हैं। हम सेल्यूलर बने रहे और कब गांधार कंधार बन गया, राममंदिर बाबरी बन गयी, हमें पता हीं नहीं चला, हमसे तीन इस्लामिक देश अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान बंगलादेश बना लिए और हम अब भी सेक्युलर हैं। स्थिति आज ऐसी हो गयी है की भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश में पचास करोड़ मुस्लिम हैं जितने सउदी अरब में भी नहीं है। हमारी समस्या ये है की हमारी आँखें 1947 के पीछे देख नहीं पाती। इस भूमि का जन्म 1947 में नहीं हुआ है। इस्लामिक रक्तपात वही विचारधारा है जिसने विश्व के परसिया जैसे शक्तिशाली देश को भी खा गयी, आज उसका नाम ईरान है कोई पारसी नहीं बचा। इस धर्मयुद्ध में हम अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश हार चुके हैं, वहाँ हिंदू लगभग शून्य हो चुके हैं, हिंदू लड़कियों को उनके शादी के मंडप से उठा लिया जाता है, धर्मांतरण कर मुस्लिम से विवाह कर दिया जाता है, पाकिस्तान की कोर्ट तक कुछ नहीं कर पाती, पर आप अपना सेक्यूलरिजम मत छोड़िए, आपको क्या फ़र्क़ पड़ता है पाकिस्तान में किसी हिंदू लड़की को विवाह के मंडप से उठा ले जाए कोई मुस्लिम, कौन सा आपकी बहन को ले गया है?

भारत तभी तक सेक्युलर है, जबतक मुस्लिम सत्ता में नहीं हैं, आपकी आँखों को आपका परिवार, आपकी पत्नी, उनका मेकअप, नौकरी, कार और पार्टी के अलावा कुछ क्यूँ दिखे? हम दिल्ली में रहते हैं तो कश्मीर क्यूँ देखें? 4 लाख कश्मीरी पंडित को मुसलमानों ने उनके हीं घर से सेक्युलर भारत में हीं 30 वर्ष पूर्व भगा दिए, कश्मीर छोड़ कर चले जाओ, अपनी बहन बेटियों को यहीं छोड़ जाओ मस्जिदों से बोले गए, पर हमें क्या हमारी बहन सुरक्षित है, फ़्री बिजली है पानी है और क्या चाहिए। यह धर्मयुद्ध है और कोई सरकार इसे नहीं लड़ सकती, समय बहुत कम है, आप हमेशा युद्ध में है, यह अंतिम युद्ध है, आप जहाँ भी हों समाज को इस युद्ध के लिए जागृत करते रहें। यह युद्ध जन-जन को लड़ना होगा, जीतना होगा। बिजली, पानी, संतान, पिता इन सब से ऊपर है देश। अपने समाज के बिके हुए लोग हीं हमारा अपना बन कर हमें समाप्त करते रहे हैं, लोहे की कुल्हाड़ी बिना लकड़ी के बेंट के लकड़ी नहीं काट सकती। अर्जुन के लिए भीष्म पितामह हों या गुरु द्रोण हों यदि दुर्योधन के पक्ष मे खड़े हैं तो भीष्म भी दुर्योधन है द्रोण भी दुर्योधन है। “कुछ बात है की हस्ति मिटती नहीं हमारी” वाले फ़िल गुड मोड से बाहर आइये, वास्तविकता इसके विपरीत है। अब नहीं जागे तो समाप्त हो जाईएगा।

धर्मेव हतो हन्ति, धर्मो रक्षति रक्षितः।

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