अपराधी चाहे सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का पर योगी बाबा के सुशासन में जिस किसी ने भी कानून के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश की उसे किसी भी हालत में क्लीन चिट नहीं मिल सकती और वो कानून के हर प्रक्रिया को बाकायदा झेल रहे है लेकिन क्या मजाल कि अखिलेश यादव के समय काल में उनके चहेते विधायक रहे हों या मंत्री, अपराध करने के बाद भी मजाल है कि उनके दरवाजे से भी कोई पुलिस वाला गुजरा रहा हो जबकि पीड़ित परिवारों ने हर FIR में उन विधायकों और मंत्रियों के नाम दर्ज करवाये थे जिनकी अपराधों में संलिप्तता साबित थी। उस समय उन परिवारों की महिलाये रो रो कर बेहोश हो गई थी लेकिन तब न्याय जैसा कोई शब्द नहीं था .
आज योगी आदित्यनाथ सरकार किसी भी अपराध की CBI जांच करवाने के लिए पल भर में तैयार हो जाती है लेकिन सपा के कार्यकाल में कई जघन्य अपराधों के वर्षों बीत जाने के बाद भी CBI शब्द भी कोई बोलने के लिए तैयार नहीं था।
सपा सरकार की अपराधों और अपराधियों के प्रति उदासीनता शायद अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की ख़ामोशी की मुख्य वजह रही हो लेकिन योगी जी के शासन में सजा भुगत रहे कुुुुलदीप सेेंगर हों या चिन्मयानंद, वो लोग भी सोचते होंगेे कि सपा के शासनकाल में विधायकों और मंत्रियोंं ने आखिर ऐसा कौन सा रक्षा कवच पहन रखा था जिसको उत्तर प्रदेश का कानून आज तक नही भेद पाया है।
सपा के समय में पीड़ित परिवार भी एक बार जरूर सोचते होंगे कि जिन लोगों ने कुलदीप सेंगर अथवा चिन्मयानंद जैसे लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और पीड़ित परिवारों को न्याय मिला क्या उनकी अंतरआत्मा उनके लिए भी जागेगी और वह उनके लिए न्याय की मांग करेंगे या उनके कानून और सिद्धांत बदल जायेंगे।
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