‘बुद्धिजीवी वर्ग’ देश के साथ या देश के खिलाफ – पढ़े और सोचें

लता मंगेशकर ,सचिन तेंदुलकर, अक्षय कुमार, अजय देवगन, विराट कोहली,रोहित शर्मा और अनुपम खेर जैसे लोग जो इस देश के गौरव माने जाते हैं।
उन्होंने देश में एकता और अखंडता बनाये रखने के समर्थन में ट्वीट किया तो उदारवादियों ,बुद्धिजीवियों और वामपंथियों ने उन्हें रातोंरात ‘सरकार के दलाल’ की संज्ञा दे दी।

जबकि सुनियोजित ढंग से और एक साजिश के तहत कुछ विदेशी कलाकारों और तथाकथित समाजसेवी लोगों ने एक एजेंडे के तहत किसानों के प्रति नकली सहानुभूति दिखाते हुए देश की एकता को भंग करने वाले कुछ ट्वीट्स किये तो इन्ही बुद्धिजीवी लोगों ने उन्हें किसानों का सच्चा हितैषी और अपना भगवान मान लिया।

देश का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि सरकार की खिलाफत करते करते इस देश का एक बड़ा धड़ा कब देश की अखण्डता के साथ समझौता कर लेता है तथा अलगाववादी एवं देश विरोधी तत्वों के प्रयोजनों में जाने -अनजाने में कब अपना समर्थन दे देता हैं उन्हें स्वयं पता नही होता। वो तो स्वयं आत्ममुग्ध होकर अपनी बुद्धि , विवेक और विचारधारा को दूसरों से भिन्न और बेहतर समझता हैं।

मैं यह मानता हूं कि इस स्वतंत्र दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वतंत्र विचारों को रखने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं। हमें किसी भी राज्य के आंतरिक मामलों में लिखने या बोलने की पूरी आजादी हैं लेकिन ये भी बात ध्यान देने योग्य होनी चाहिए कि आपके विचार स्वार्थरहित तथा किसी निश्चित विचारधारा या किसी खास एजेंडे से प्रभावित नही होनी चाहिए ।

जिन व्यक्तियों के फॉलोवर्स करोड़ों में है उनके ऊपर ये जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है क्योंकि उनके द्वारा कही बातों का प्रभाव समाज में एक आम आदमी द्वारा कही बातों की तुलना में कहीं ज्यादा प्रभावशाली होता हैं।

                                     ?️अभिनव त्रिपाठी

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