बीजेपी के लिए शिवसेना के मन में किस हद तक कड़वाहट है ये किसी से छिपी नहीं है. 2015 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना और बीजेपी दोनों ने अकेले चुनाव लड़ा था तब बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन राज्य में सत्ता पर काबिज होने के लिए शिवसेना बीजेपी के साथ आ गई. देखा जाए तो शिवसेना बीजेपी के साथ जरुर थी लेकिन अंदर ही अंदर बीजेपी को ज्यादा सीट मिलने की वजह से शिवसेना के मन में बीजेपी के लिए कड़वाहट भर चुकी थी। लेकिन ये लड़ाई तब और बढ़ गई थी जब विधान सभा के सदन में बीजेपी के विधायकों को निलंबित कर दिया गया था.
लेकिन आखिरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बीजेपी के 12 विधायकों को 5 जुलाई, 2021 से शुरू होने वाली एक साल की अवधि के लिए निलंबित करने के महाराष्ट्र विधानसभा के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि विधायकों को एक साल तक निलंबित करने का पीठासीन अधिकारी का फैसला असंवैधानिक और मनमाना है। SC ने ये भी कहा कि निलंबन सिर्फ जुलाई 2021 में हुए विधानसभा के मानसून सत्र के लिए किया जा सकता था। कोर्ट ने माना कि सत्र के बाद बीजेपी के 12 विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव असंवैधानिक, अवैध और विधानसभा की शक्तियों से परे है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट किया, “सत्यमेव जयते! मानसून सत्र के दौरान OBC के लिए आवाज उठा रहे हमारे 12 विधायकों के निलंबन को रद्द करने के ऐतिहासिक निर्णय के लिए हम माननीय सुप्रीम कोर्ट का स्वागत और धन्यवाद करते हैं।”
उन्होंने अगले ट्वीट में कहा, “हम शुरू से कह रहे थे कि कृत्रिम बहुमत बनाने के लिए हमारे विधायकों को इतनी लंबी अवधि के लिए निलंबित करना पूरी तरह से असंवैधानिक और सत्ता का घोर दुरुपयोग था और वह भी बिना किसी वैध कारण के। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हमारे रुख को बरकरार रखा है। सवाल सिर्फ 12 विधायकों का नहीं, बल्कि इन 12 निर्वाचन क्षेत्रों के 50 लाख से अधिक नागरिकों का था।”
इन विधायकों को पिछले साल 5 जुलाई को पीठासीन अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार के आरोप में निलंबित किया गया था। इन विधायकों ने अपने निलंबन को शीर्ष कोर्ट में चुनौती दी थी। विधायक जिनमें संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भटकलकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, योगेश सागर, जय कुमार रावत, नारायण कुचे, राम सतपुते और बंटी भांगड़िया को 5 जुलाई, 2021 को निलंबित कर दिया गया था।
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