उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक ऐसी घटना सामने आयी है जिसने अपने साथ ही कई सवालों को भी जन्म दिया है. सवाल, समाज से लेकर न्याय प्रणाली, पुलिसिया व्यवस्था सभी से हैं. आखिर किस मजबूरी में एक फौजी पिता जो देश की सुरक्षा के लिए हथियार उठाता है उसे उसी हथियार से किसी की जान लेनी पड़ी. यकीनन आप भी हैरान हो गये होंगे . लेकिन शायद उस मजबूर और लाचार पिता के पास रास्ता ही क्या था जो हर रोज अपनी आंखों के सामने अपनी बेटी के बलात्कारी को देखता होगा. आखिर कब तक वो अंदर-ही-अंदर घुटता, सो एक दिन आखिरकार पिता ने वहशी दरिंदे की जान ले ली .

गोरखपुर की दीवानी अदालत की गेट पर शुक्रवार की दोपहर को रेप की शिकार नाबालिग बच्ची के पिता ने जमानत पर खुलेआम बाहर घूम रहे दरिंदे दिलशाद हुसैन की गोली मारकर हत्या कर दी. आरोपी मुकदमे की तारीख पर पेशी के लिए गोरखपुर आया हुआ था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 30 साल का रेप का आरोपित दिलशाद हुसैन बिहार के मुजफ्फपुर जिले का रहने वाला था। उस पर बड़हलगंज क्षेत्र की रहने वाली पीड़िता के साथ रेप करने का आरोप है। कोरोना की वजह से कोर्ट के अंदर जाने पर रोक है। इसलिए दीवानी कचहरी के गेट पर पहुंचने के बाद आरोपित दिलशाद ने अपने वकील को मिलने के लिए गेट पर बुलाया। लेकिन तभी बलात्कार की शिकार किशोरी के पिता ने पिस्टल निकाल कर उसके सिर में गोली मार दी. जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। दिलशाद हुसैन रेप और पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपित था और जमानत में बाहर था। फिलहाल पुलिस ने उसकी हत्या के आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस और न्यायालय की नजर में भले ही वो दोषी हो लेकिन उसे मजबूर भी तो इन्ही लोगों ने किया. सोचिए उस पिता पर क्या गुजरती होगी जिसे हर रोज किसी फिल्म की कहानी की तरह तारीख-पर-तारीख मिलती रहती होगी जो अपनी बेटी के बलात्कारी को जमानत पर घूमता अपनी आंखों के सामने देखता रहता होगा. लेकिन जब एक मजबूर पिता को कहीं से इंसाफ नहीं मिला, न्याय की आस कमजोर होने लगी और एक पिता के सब्र का बांध टूट गया ।

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