राजनीति में वंशवाद की बहस पुरानी है, यहां खून का महत्व काबीलियत से अधिक रहा है. एक बार फिर ऐसी ही तस्वीर केरल में दिख रही है, जहां पिनराई विजयन को दोबारा राज्य की कमान संभालने का मौका मिला है. विजयन की वापसी ने कैबिनेट में परिवारवाद की एंट्री भी करा दी है. पिनराई विजयन की नई कैबिनेट में उनके दामाद पीए मोहम्मद रियाज को जगह मिल गई है. लेकिन पिनरई उस शख्स यानी केके शैलजा को शामिल करना भूल गए जिनकी बदौलत साल 2018 में आए निपाह वायरस और उसके बाद कोरोना संक्रमण को काबू करने में इन्होंने जिस तरह की भूमिका निभाई, उससे देशभर में इनकी तारीफ हुई. केके शैलजा को ‘पेंडेमिक फाइटर’ भी कहा जाता है.

एक तरफ जहां पिनरई नई सरकार के गठन में मशगूल हैं वहीं इसी बीच सीएम विजयन की नई कैबिनेट पर विवाद भी शुरू हो गया है , सवाल ये उठ रहे हैं कि जब चुनाव तैयारियां अपने पूरे शबाब पर थीं तब शैलजा के चेहरे को पूरे प्रदेश में एक आइकॉन की तरह पेश किया गया था जिसका फायदा विजयन को मिला. केरल में जिस तरह विजयन ने शैलजा को दूध में पड़ी मक्खी की तरह अलग किया उसके पीछे एक बड़ा कारण आम जनमानस के बीच पूर्व स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा की लोकप्रियता को भी माना जा रहा है. साथ ही केके शैलजा का आम लोगों के बीच इस तरह से पॉपुलर होना मुख्यमंत्री विजयन की बेचैनी बढ़ा रहा था. विजयन को लगातार ये डर बना हुआ था कि शैलजा का कद उनकी इमेज को प्रभावित कर उन्हें मुसीबत में डाल सकता है.

इधर अपने नई कैबिनेट गठन पर विवादों में घिरते सीएम विजयन के खेमे में ही उनके इस फैसले का विरोध शुरु हो गया है, इस मामले में CPI(M) के प्रवक्ता एएन शमशीर का कहना दरअसल मुद्दा ये है कि पी विजयन को दोबारा मुख्यमंत्री बनना नहीं बल्कि दामाद पीए मुहम्मद रियास को शामिल करना और कोविड महामारी में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली केके शैलजा को हटाना है. इसके साथ ही बताया जा रहा है कि वृंदा करात समेत सीपीएम के कई बड़े नेताओं ने शैलजा को कैबिनेट से हटाने पर आपत्ति जताई है.

कौन हैं पीए मुहम्मद रियाज?

मोहम्मद रियाज डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) के अध्यक्ष हैं. DYFI से ही रियाज की सीपीएम में एंट्री हुई है. मोहम्मद रियाज ने पिछले साल जून में सीएम विजयन की बेटी टी. वीना से शादी की थी. शादी को अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ और उन्हें कैबिनेट में जगह मिल गई है.

इसे विडंबना ही कहा जा सकता है कि केके शैलजा ने जो बेहतरीन काम अपने कार्यकाल के दौरान किया वो राज्य के मुख्यमंत्री विजयन की बदौलत दरिया में चली गई. जाहिर है विजयन के लिए इतना सब करने के बावजूद जिस तरह केरल में के के शैलजा का पत्ता कटा उससे इतना तो साफ़ हो गया है कि बॉलीवुड से लेकर राजनीति गलियारे में जीत हमेशा नेपोटिज्म की ही होती है. इसके साथ ही अपनी नयी कैबिनेट से शैलजा को हटाकर पी विजयन ने बता दिया की राजनीति में काम करने वालों की कोई कद्र नहीं है.

भारत में वंशवाद की परंपरा को बढ़ाते हुए नेहरू−गांधी परिवार में पंडित जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने सत्त्ता का सुख उठाया। इसके अलावा बाल ठाकरे की तरफ से शिवसेना में परिवारवाद को बढ़ावा देना, लालू यादव, शरद पवार, शेख अब्दुल्ला, फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला परिवार,  मुलायम सिंह यादव,  जैसे कई सियासी परिवारों ने इसे बढ़ावा देते आये हैं ।

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