क्या जुबैर की गिरफ्तारी बस दिखावा है ?
कोर्ट में एक दिन भी नहीं टिकेगा। ऐसे वक्त में जब देशद्रोह की धारा 124 पर रोक लगी है। जिन धाराओं में गिरफ्तारी हुई है वह कुछ मतलब की नहीं। बस मीडिया में सुर्खियां बनेंगी दोनो पक्षों की ओर से। कल से जो लोग गिरफ्तारी पर खुश हो रहे आज से कोर्ट और सिस्टम की उदासीनता पर रोएंगे। दूसरा पक्ष विक्टिम कार्ड खेल खुशी मनाएगा । एक दिन की रिमांड मिली जिसमें कल आधा दिन बीत गया ।
ऐसे लोगो को पुलिस नहीं बल्कि NIA आदि से उठवाना चाहिए कुछ हफ्तों महीनों तक गिरफ्तारी दिखाए बिना। तबियत से खातिर करनी थी। कुछ होता न होता बाकियों को सबक मिलता । दुबारा ऐसा कुछ करने से डरते। आपने देखा होगा कि आजकल हर मसले को राजनीतिक रूप से जोड़कर देखा जाता है ये महज संजोग है या साजिश कि जब भी कोई देशद्रोही गतिविधियों या धर्म विरोधी गतिविधियों के खिलाफ कोई कार्यवाही होती है तो तुरंत कांग्रेस, एनसीपी, आरएलडी, एसपी, एआईएमआईएम और ना जाने तमाम वो पार्टियां जो बीजेपी के खिलाफ है शुरू कर देते है इन देशद्रोहियों को समर्थन… ये साफ साफ बता रहा है कि किस प्रकार से ये राजनीतिक दल जाति, धर्म, पंथ, संप्रदाय के नाम से राजनीति कर देश को बर्बाद करने मे लगे है अब ऐसी हरकतों पर रोक लगनी चाहिए ऐसी हरकतें करने वालों पर तरीके से कार्यवाही करके कड़ी से कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए ताकि अन्य लोगो के लिए सबक बने, अपने आपको सामाजिक कार्यकर्ता कहने वाले कुछ असामाजिक तत्व जैसे दिलीप मंडल, स्वारा भास्कर, साक्षी जोशी, संजुक्ता बसु, राधिका खेरा, अदिति मित्तल, कुणाल कामरा जैसे लोग बचाव में आकर छाती पिटना शुरू कर देते है लोकतंत्र का रोना रोना शुरू कर देते है लोकतंत्र की दुहाई देने लगते है अचानक से इनको लोकतंत्र खतरे में आता दिखाई देने लगता है और तो और जातिगत राजनीति से ये लोग देश और राज्यों की सकारात्मक सरकारों को सीधे सीधे बदले की राजनीति का नाम देकर माहौल खराब करने की योजना बनाते है
जिस मोहम्मद जुबेर को लेकर इतना बवाल मचा है आप सब भली भांति जानते है कि इस की वजह से ही नूपुर शर्मा के शब्दों को तोड़ मरोड़कर देश में अस्थिरता फैलाने की कोशिश की, इसी जुबेर ने हमेशा जहर बोने वाले व्यकत्व्य दिए है जिस वजह से हमेशा तंग माहौल रहा है और जिसकी कीमत केवल और केवल देश ने चुकाई है । फ्रीडम ऑफ स्पीच के नाम पर देश में गंदगी फैलाने वाले सैकड़ों तथाकथित सेकुलर कीड़ों को अब मसलने का समय है इन पर जितनी कड़क कार्यवाही होनी चाहिए वो कम है ।
नूपुर शर्मा के नाम पर जुम्मे के दिन जिस प्रकार से देश के संसाधनों का नाश किया गया, फरमान निकाले गए वो महज एक परीक्षण था जिससे पता किया जा सके कि आखिर क्या हो सकता है आज जगह जगह पर गजवा ए हिंद के नाम पर इसी हरकतों की वजह से पश्चिम बंगाल में रोज सैकड़ों हिंदुओ को मारा जा रहा है पर अफसोस है कि खुद को देशभक्त कहने वाले कुछ नही बोलते कैसे उनके मुंह में दही जम गया हो ।
आए दिन पश्चिम बंगाल से हिंदुओ पर अत्याचार के समाचार आ रहे है पर कोई भी बंधु सामने से आकर इस कुकृत्य को उजागर नहीं कर रहे है ममता बनर्जी सरकार द्वारा लगातार एक एक कर राष्ट्रवादियों को टारगेट किया जा रहा है मौत के घाट उतारा जा रहा है पर मजाल है कि कोई सामने आए, आज ऐसे तमाम लोगो को अब एक साथ सजा देने की जरूरत है मुंबई में केतकी चितले व निखिल भामरे द्वारा शरद पवार पर महज एक ट्वीट से उसे एक महीने से ज्यादा जेल में रहना पड़ा जबकि ये लोकतंत्र के खिलाफ था, इससे पहले आप अरनब गोस्वामी, कंगना रनौत के मामले में आप देख चुके है कि किस प्रकार से कानून के साथ खेला गया और अत्याचार हुआ । इसी के साथ अश्विनी जो कि पश्चिम बंगाल से है इस बहन ने फेसबुक पर बस इतना सा लिखा… “देश को नुकसान पहुंचाने की बजाय उपद्रवी देश छोड़कर चले जाए” बस फिर क्या था… बेलडंगा मुर्सिदाबाद (पश्चिम बंगाल) पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और बहन को सहायता करने में सहयोग भी नही कर रहे है और आज भी अश्विनी जेल में है पर कोई समाजसेवी उन्हें न्याय दिलाने के लिए आगे नहीं आ रहा है पर यही सब मोहम्मद जुबेर के नाम पर छाती पीटते दिखाई देंगे ।
एनआईए, एनएसए और इंटेलिजेंस एजेंसियों को अब चाहिए कि जहर की खेती करने वाले तमाम लोगो को सजा मिलनी चाहिए ताकि एक सबक मिले उन सभी को जो कभी भी कुछ भी हरकतें कर देते है।
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