“अरे तुम तो जैनी हो, क्या जानो हिन्दू धर्म के बारे में”
“जैन धर्म, हिन्दू धर्म से अलग है”
“जैनियों ने हिन्दू धर्म को बदनाम किया है, वगैरह वगैरह”
ये सब बातें एक जैन होने के नाते मुझ जैसे हर एक सनातनी व्यक्ति को सुनने को मिलती है, लेकिन आज इस लेख के माध्यम से मैं उन सब लोगों को जवाब दूंगा जो इस प्रकार की निम्न विचारधारा रखते है कि जैन धर्म हिन्दू धर्म से अलग है।
लेख को आगे बढ़ाने से पहले आप पूज्य जैन संत मुनि तरुणसागर जी के इस वीडियो को देखे जिसमें वो बता रहे है कि आखिर क्या है हिन्दू संस्कृति ?

सर्वप्रथम तो हिन्दू एक धर्म ना होकर वैदिक सभ्यता से उद्द्गम हुए विविध प्रकार के दार्शनिक मार्गों के लिए सर्वमान्य शब्द है।
इसी वैदिक धर्म के हम मुख्यतः 6 दार्शनिक मार्ग पढ़ते है :-
1. सांख्य
2. वैशेषिक
3. न्याय
4. योग
5. पूर्व मीमांसा/कर्म मीमांसा
6. उत्तर मीमांसा/ब्रह्म मीमांसा

उपरोक्त दार्शनिक मार्गों की न्यूनाधिक मात्रा ही जैन धर्म की मान्यताओं, परम्पराओं का निर्माण करती है, इसलिए ये तो प्रश्न ही निराधार है कि जैन धर्म हिन्दू धर्म से अलग है।
फिर भी जटिल दार्शनिक भाषा को छोड़कर मैं सामान्य भाषा में आपको बताता हूँ कि जैन धर्म किस मात्रा तक हिन्दू धर्म से जुड़ा हुआ है –

1. जैन धर्म के धार्मिक स्थलों को मन्दिर या चैत्यालय बोला जाता है ना कि दरगाह या चर्च।
जितने भी जैन मंदिर इस देश मे है उनकी बनावट शैली आप देख लीजिए, नागर या द्रविड़ शैली में ही उनका निर्माण हुआ है।

2. जैन ग्रन्थों में 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान को भगवान श्रीकृष्ण का चचेरा भाई बताया गया है।
इसके साथ ही महान इक्ष्वाकु वंश का महिमा मंडन जैन ग्रन्थों में भी किया गया और ये मान्यता है कि 24 में से 22 तीर्थंकरों ने इसी वंश में जन्म लिया था।

3. गौहत्या एक महान पाप और शारीरिक मानसिक बौद्धिक अहिंसा को हिन्दू धर्म के समान ही जैन धर्म में भी मान्यता दी गयी है।

4. ॐ एवं स्वस्तिक जैसे सनातन चिन्हों को जैन धर्म में भी पूर्णता से ससम्मान ग्रहण किया गया है और इनके बिना हर एक पूजा या धार्मिक कार्य अधूरा माना जाता है।

5. कर्म प्रधानता एवं पुनर्जन्म के विश्वास को दोनों ही धर्मों में विशेष महत्व दिया गया है।
साथ ही दोनों धर्मों में 84 लाख योनियों के चक्र को भी मान्यता दी गयी है।

6. जैन धर्म में जो संस्कार सम्पन्न किए जाते है वो पूरी तरह से हिन्दू धर्म के संस्कारों के समान ही है, चाहे वो नामकरण संस्कार हो, विवाह संस्कार या फिर अंतिम संस्कार।
जैन धर्म में भी मृत शरीर को अग्नि में समर्पित करने की परम्परा ही है।

7. जैन धर्म के तीर्थंकरों का सम्बन्ध महान क्षत्रिय कुल से ही था, वो सभी क्षत्रिय पिता की ही संतान थे।
वर्तमान में भी आप देख लीजिए जैन धर्म का पालन करने वाले अधिकांश लोग वैश्य समुदाय में ही मिलते है ना कि किसी अहिन्दू धर्म से।

8. अधिकांश जैन परिवार हिन्दू त्यौहारों एवं रीति रिवाजों को मानते है और इस बात का उदाहरण मेरा स्वयं का परिवार है जहाँ जैन पर्वों से अधिक हिन्दू पर्वों को मनाया जाता है।

9. मंगलाचरण, भूमिशुद्धि, आचमन, दीपक प्रज्वलन, तिलकधारण, यंत्र का अभिषेक, अर्घसमर्पण आदि ये सब परम्पराएं दोनों ही धर्मो में लेश मात्र भी भेदभाव के बिना मान्यता प्राप्त है।

10. हिन्दू धर्म की भांति ही जैन धर्म का मूलस्थान भारत देश है।
इस्लाम या ईसाई धर्म की तरह यह बाहरी (विदेशी) तत्वों द्वारा भारत में नही आया है।

11. जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव स्वायंभुव मनु की 5वीं पीढ़ी के वंशज थे।
(स्वायंभुव मनु, प्रियव्रत, अग्नीघ्र, नाभिराय, ऋषभदेव)

12. भगवान ऋषभदेव को आदिनाथ भी कहा जाता है जो कि भगवान शिव का भी एक नाम है। भगवान ऋषभदेव को कैवल्य भी कैलाश पर्वत पर प्राप्त हुआ था, इस कारण वो सिर्फ जैन ही नही अपितु हिन्दू धर्म में भी पूजनीय है।

13. इसके अलावा हिन्दू और जैन धर्म के पवित्र स्थानों को देख लीजिए वो एक समान ही है।
जैसे :- अयोध्या, वाराणसी, हस्तिनापुर, खजुराहो, एलोरा गुफाएं।

14. राजस्थान में भील जनजाति के लोग केसरियानाथ (ऋषभदेव) को चढ़ी केसर का पानी पीकर कभी झूठ नही बोलते है।

15. मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा, यज्ञ, हवन, आरती, अभिषेक आदि परम्पराओं में किसी प्रकार का भेदभाव नही है।

उपर्युक्त दिए गए उदाहरण तो सिर्फ वो है जो स्पष्ट तौर से दिखाई देते है, यदि आप गहराई से अध्ययन करेंगे तो लेश मात्र का भेद भी इनमें नही बता पाएंगे।
इसलिए हे स्वयम्भू विद्वानों अपनी इस निम्न मानसिकता को त्याग दो कि ये दोनों अलग अलग धर्म है, क्योंकि तुम्हारे जैसे लोगो ने खूब प्रयत्न किए इनमें भेद या विभाजन पैदा करने का फिर भी इतनी सदियों से इन्हें कोई विभाजित नही कर पाया है। ये बात आप अच्छे से दिमाग में बैठा लीजिए कि –
“जैन धर्म महान सनातन परंपरा का ही एक हिस्सा है”

अंत में जैन संत मुनि प्रमाणसागर जी का एक वीडियो दिया जा रहा है, आप एक बार उसे जरूर देखें जहाँ उन्होंने मात्र दो प्रश्नों के उत्तर में ही समस्त निराधार शंकाओं का निवारण कर दिया है।
धन्यवाद
जय जिनेन्द्र।।

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