इस अवसर पर बेंगलुरु, कर्नाटक के व्यावसायिक श्री. स्वदेशी प्रशांत बोले कि, 7 फरवरी से 14 फरवरी तक भारतीय युवा पीढी का ‘रोज डे’, ‘फ्रेंडशिप डे’, ‘चॉकलेट डे’, ‘वैलेंटाईन डे’ आदि पश्चिमी ‘डे’ मनाने के पीछे, आर्थिक लूट मचाने में अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का बहुत बडा षड्यंत्र है । इसमें शुभकामना पत्र, भेटवस्तु, चॉकलेट आदि बनाने वाली अनेक विदेशी कंपनियों का सहभाग होने से इन कंपनियों द्वारा युवा वर्ग में ‘डे’ संस्कृति का भारी मात्रा में प्रचार किया जा रहा है । पाश्चात्य ‘डे’ के माध्यम से 12 से 20 बिलियन डॉलर्स का व्यवसाय किया जाता है । यह अब केवल कुछ ‘डे’ तक ही मर्यादित न रहकर, हिंदुओं की दिवाली एवं अन्य त्योहारों पर पारंपरिक भारतीय मिठाई के स्थान पर सगे–संबंधियों एवं मित्र परिवार को ‘कैडबरी’ भेट दें, ऐसा विज्ञापन करके भारी आर्थिक लूट मचाई जा रही है । इसमें आर्थिक लूट के साथ ही भारतीयों के धर्मांतरण करने का भी षड्यंत्र चल रहा है ।
इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के युवा संगठक श्री. हर्षद खानविलकर बोलेे, ‘‘कथित ‘संत वैलेंटाइन’ के अस्तित्व का कोई की प्रमाण न होने के कारण 1969 में ‘रोमन कैथोलिक चर्च’ ने संतों की दिनदर्शिका से वैलेंटाइन का नाम हटा दिया । इसके साथ ही रूस के बेलग्रेड, अमेरिका के फ्लोरिडा विश्वविद्यालय, चीन, इटली, स्वीडन, नॉर्थ कोरिया, इथियोपिया आदि देशों में भी यह दिन नहीं मनाया जाता । फिर भारत में ही ‘वैलेंटाईन डे’ किसलिए ? केवल युवकों को आकर्षित करते हुए ये विविध कंपनियां अपनी तिजोरी भर रही हैं । इसके विरोध में हिन्दुओं को विद्यालय–महाविद्यालय में जाकर युवकों का प्रबोधन करना चाहिए और ऐसे विज्ञापन करनेवाली कंपनियों का वैधानिक मार्ग से विरोध करना चाहिए । अपनी युवा पीढी को धर्मशिक्षा देनी चाहिए । इस अवसर पर भाजपा के चाळीसगाव तालुका के अध्यक्ष श्री. सुनील निकम बोले, ‘वैलेंटाईन डे’ यह विकृति ही है । इस कारण युवक–युवतियों का जीवन संकट में पड गया है । इस पाश्चात्य ‘डे’ से ‘लव जिहाद’ को प्रोत्साहन मिलता है और कुछ धर्मांध संगठन जानबूझकर इसे फैलाते हैं । इसके विरोध में हिन्दुओं को जागृत होना चाहिए ।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.