हम सब जानते हैं कि पिछड़े दिनों देश की राजधानी दिल्ली में भयानक दंगे हुए । जिसकी वजह केंद्र सरकार द्वारा बनाये गये CAA नाम के कानून को बताया जाता है । जोकि पड़ोसी इस्लामिक देशों में बुरी तरह सताए गए हिन्दू , बौद्ध , जैन , सिख आदि को मानवता के नाते भारत की नागरिकता देने के लिए बनाया गया था । लेकिन इस कानून को इसका ठीक उल्टा स्वरूप देकर मुस्लिमों के सामने पेश किया गया और देश की सरकार द्वारा बार बार clarify करने के बाबजूद भी मुस्लिम समाज के मन में आखिरकार ये बात बिठा दी गयी कि मुस्लिमों की नागरिकता छीनने की तैयारी चल रही है और इसी दुष्प्रचार के बाद दिल्ली सहित सारे देश में पत्थरबाजी और आगजनी के दौर शुरू हो गए । तमाम मस्जिदों से नमाज पढ़ने के बाद पत्थरबाजों की भीड़ निकलकर सड़कों पर गुंडागर्दी करने लगी ।
जब पुलिस ने इस पर सख्ती की तो उसके बाद शाहीन बाग जैसे आंदोलन सामने आए जिसमें सड़कों पर कब्जा करके देश तोड़ने जैसी भड़काऊ बातें की जाने लगीं और कमाल तो यह है कि वो लोग संविधान की इस हत्या को संविधान की रक्षा करने का नाम दे रहे थे और उसके बाद शाहीन बाग में सड़कों पर कब्जा करके बैठे गुंडों ने ही दिल्ली में दंगे शुरू कर दिए और हिन्दुओं के एक एक आदमी को सैकड़ों बार चाकुओ से गोदकर नाले में फेंक देने जैसी बेरहम घटनाओं से दिल्ली को खून से रंगना शुरू कर दिया ।
हालांकि अब जांच पड़ताल होने के बाद ये बात सामने आ चुकी है कि दिल्ली के दंगे सोची समझी साजिश थी हिन्दुओं के खिलाफ और इन दंगों में हिन्दुओं को बिना अगड़ा , पिछड़ा , दलित का भेद किये मारा गया था ।
अच्छा इन दंगों में सिर्फ मुस्लिमों को नहीं लड़ाना था हिन्दुओं से बल्कि हिन्दुओं को आपस में भी लड़ाना था इसलिए हिन्दू नाम वाले कुछ हिन्दू विरोधी ( वामपंथी ) भी इस घटना में शाहीन बाग वाले अपराधियों के समर्थन में पूरी तरह खड़े नजर आए ।
अब आते हैं हाथरस वाली घटना पर , हाथरस में जिस बहन के साथ निर्दयता हुई उसकी इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी और उसके लिए हर इंसान दुःखी भी था । लेकिन इसके बाद कुछ हिन्दू विरोधियों को हिन्दुओं को आपस में लड़ाने का एक मौका नज़र आया और शुरू हुई इस मुद्दे पर भयंकर जातिवादी और विभाजन पैदा करने वाली राजनीति । उस बहन की तकलीफ से ज्यादा उसकी और आरोपियों की जाति का सारी दुनिया में प्रचार किया जाने लगा , फिर हिन्दुओं को उकसाने के लिए इस घटना के माध्यम से हिन्दुओं को दलित , अगड़ा , पिछड़ा में बांटकर शुरू हुई दिल्ली जैसे दंगे कराने की खौफनाक साजिश ।
जोकि जांच पड़ताल आगे बढ़ने के साथ ही सामने भी आ रही है ।
तो दोनों घटनाओं के उद्देश्य तो सामने हैं कि कुछ भी करना था पर बस हिन्दुओं को आपस में लड़ाना था , पर आइये इन घटनाओं के कुछ महत्वपूर्ण निष्कर्षों पर गौर करते हैं —
— इन दोनों घटनाओं में PFI नाम के उग्रवादी संगठन का involvement रहा , जिसका जाहिर उद्देश्य हिन्दुओं में फूट डालना है
— इन दोनों घटनाओं में भीम आर्मी पूरी तरह सक्रिय रही और इससे जुड़े लोगों की बातों और हरकतों से साफ जाहिर हो जाता है कि ये PFI जैसे इस्लामिक संगठनों की team B की तरह काम करते हैं और दलितों की आड़ लेकर हिन्दुओं को आपस में लड़ाते हैं , क्योंकि दलितों के साथ तो और भी जगह अत्याचार हुए हैं लेकिन भीम आर्मी वाले वहाँ कभी नहीं गए ।
— इन दोनों घटनाओं में जाति के नाम फूट डालने में congress party पूरी तरह सक्रिय रही , जिससे हर बार की तरह यह जाहिर हो गया कि चाहे देश की सुरक्षा को खतरे में ही क्यों ना डालना पड़े लेकिन बस राजनीतिक स्वार्थ पूरे होने चाहिए , यही हाल बाकी विपक्षी पार्टियों का था ।
— इन दोनों घटनाओं में हिन्दू नामधारी हिन्दू विरोधी ( वामपंथी ) पूरी तरह सक्रिय रहे जिन्हें उस बहन की तकलीफ की जगह इस बात की ज्यादा चिंता नज़र आई कि आखिर दलितों को धर्म परिवर्तन के लिए कैसे उकसाया जाए , जिससे हिन्दुओं को आपस में ही लडाया जा सके ।
तो ये सब कुछ हमारे सामने है और हमसे ही कराया जा रहा है , जिसमें सबसे बड़ा हथियार social media है
तो हम थोड़ा सतर्क रहें , थोड़े तर्कशील और समझदार बनें , हमारे हित की कोई कुछ कहे तो ठीक है सुन लो लेकिन अगर कोई हमारे भले की कहते कहते हमें किसी का बुरा करने के लिए उकसाये तो तत्काल उससे दूरी बना लो ।
इसी में हम सबका हित है , जातिवाद छोड़ धर्म के नाते आपस में मिलजुलकर रहो तो बाकी सारी परेशानियां धीरे धीरे खुद दूर हो जाएंगी ।
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