स्वामी चित्तरंजन देबबर्मा इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वाहवाही बटोर रहे हैं, इसके एक नहीं बल्कि कई कारण हैं. दरअसल धर्मांतरण गैंग वालों के सामने चित्तरंजन देबबर्मा एक चट्टान की तरह खड़े हैं. साथ ही बीते कई दशकों से त्रिपुरा के सुदूर और आदिवासी इलाकों में स्वामी चितरंजन देबबर्मा आदिवासियों के कल्याण, सामाजिक उत्थान, शिक्षा, स्वास्थ्य और जैविक कृषि, टेलरिंग, कौशल विकास जैसे अनेक कार्य कर रहे हैं.

इसी कड़ी में पूर्वोत्तर भारत से जुड़े विषयों पर काम करने वाले सामाजिक संगठन माय होम इंडिया ने रविवार को 8वें कर्मयोगी पुरस्कार 2021 समारोह का आयोजन किया. इस साल का पुरस्कार स्वामी चितरंजन देबबर्मा को दिया गया है, जो एक प्रख्यात जनजातीय धार्मिक नेता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं.

वर्ष 2000 में त्रिपुरा में गुरु स्वामी काली जी महाराज की हत्या हो गई, क्योंकि उनके कारण हिंदुओं के धर्मांतरण में मिशनरीज को सफलता नहीं मिल रही थी। गुरु की हत्या के बाद स्वामी चितरंजन उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने में जुटे अब तक तकरीबन 1 लाख से ज्यादा लोगों की घर वापसी कराकर धर्मांतरण गैंग वालों के लिए चुनौती बन गए हैं.

आज चितरंजन जी त्रिपुरा में 24 आश्रमों का संचालन करते हैं, जहां गरीब आदिवासी बच्चों की देखभाल भी होती है। आश्रमों के जरिये आदिवासी इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे सेवा कार्य चल रहे।

कर्मयोगी अवार्ड की आयोजनकर्ता स्वामी विवेकानंद समिति के मुताबिक, स्वामी चितरंजन दास ने आदिवासी अंचलों में वंचित वर्ग के जीवन में बदलाव की नयी पहल की है. स्वामी चितरंजन देबबर्मा ने अपना पूरा जीवन समाज के लिए समर्पित करने के लिए अपना परिवार छोड़ दिया, कोविड-19 के महामारी के कठिन दौर में मानवता के उनके अमूल्य कार्य किसी के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत हैं.

 इस सम्मान समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संबोधित करते हुए त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव देब ने पिछले कुछ दशकों में त्रिपुरा में चरमपंथ और उग्रवादी घटनाओं को याद करते हुए चितरंजन देवबर्मा के मानवता के प्रति योगदान को याद किया.

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