वजह जानने के लिये पहले मैं आप सभी से एक प्रश्न करना चाहता हूँ।

आपको अपने घर पर 12 नोकर व 1मैनेजर रखना हैं

अब एग्रीमेंट इस प्रकार है

  1. आप मैनेजर को 5 साल से पहले नोकरी से नहीं निकाल सकते हैं।
    2.आप नोकरो को 60 वर्ष की उम्र से पहले नोकरी से नहीं निकाल सकते हैं।
  2. उन्हें सभी वेतन भत्ते देने ही पड़ेंगे।
  3. आपके नोकर आपके घर का नुकसान करें, ठीक से काम नहीं करे तो आप ज्यादा से ज्यादा नोकरो की शिकायत उससे बड़े नोकर या मैनेजर से कर सकते हैं, अब अपने स्टाप पर कार्यवाही करना या न करना उनके मूड पर निर्भर करता हैं।

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अब बताओ आपके घर के नोकर आपका कैसा कहना मानेंगे।
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यही स्थिति पुलिस डिपार्टमेंट व अन्य विभागों की हैं

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पुलिस विभाग में पद सोपान इस प्रकार होता हैं
1.कांस्टेबल 2.हेड कॉन्स्टेबल 3. ASI 4.SI 5. CI. 6.DYSP 7. ASP 8.SP 9.DIG 10 IG 11.ADGP 12.DGP

इन सब का मैनेजर होता है मुख्यमंत्री/गृहमंत्री

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अब हम इस देश के मालिक 12 नोकरो व मैनेजर का कुछ नहीं बिगाड़ सकते है ज्यादा से ज्यादा शिकायत कर सकते है।

मूड होगा तो सुनवाई करेंगे वरना नहीं करेंगे।

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वर्तमान में पुलिस डिपार्टमेंट मुख्यमंत्री/गृह मंत्री के नियंत्रण में कार्य करता हैं।

पुलिस डिपार्टमेंट को मुख्यमंत्री /गृहमंत्री के सही गलत सभी बातें माननी पड़ती है यदि पुलिस डिपार्टमेंट का कोई कर्मचारी उनके आदेशों की अवहेलना करेगा उसे दूर फेक दिया जाएगा या उसे फसा दिया जाएगा या सस्पेंड कर दिया जाएगा अर्थात जो मुख्यमंत्री/गृहमंत्री के सभी आदेशों को नहीं मानेगा उसे बहुत परेशान किया जाएगा।

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तो भारत की सभी राज्य सरकार पुलिस का अपने हिसाब से ही इस्तेमाल करती है कोई भी अपवाद नहीं हैं, एक भी नहीं।
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समाधान:-प्रस्तावित जुरीकोर्ट कानून ,यदि प्रस्तावित जुरीकोर्ट कानून लागू हो जाता है तो आपको 2 अधिकार मिलेंगे।
(1) आप जिला पुलिस अधिकारी अर्थात SP को हटाने हेतु स्वीकृति दे सकते हैं।
(2) यदि किसी भी पुलिस कर्मी की कोई शिकायत आती है तो उसकी सुनवाई नागरिको की जूरी द्वारा की जाएगी अर्थात पुलिसकर्मी द्वारा गलत किये जाने पर नागरिक उसे दंडित कर सकते हैं।

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अब मान लो कोई मुख्यमंत्री राजनीतिक /व्यक्तिगत द्वेष के कारण किसी निर्दोष व्यक्ति को फसाना चाहता है तो वर्तमान में अपने SP को फोन करता है और SP आसानी से फील्डिंग लगाकर कानूनी जाल फेंककर फसा लेता हैं क्योकि SP को पता है कि प्रमोशन /ट्रांसफर मुख्यमंत्री के हाथ मे है।मुख्यमंत्री का खास बने बगैर कोई भी SP पैसा नहीं बना सकता।

अब SP को हटाने का अधिकार जनता के पास होता तो SP पता होता कि यदि निर्दोष को फसाया तो जल्द ही यह बात 1% लोगों तक चली जायेगी जो आगे चलकर बहुत से नागरिको तक जा सकती हैं तो नागरिक वोटवापसी का इस्तेमाल करके उसे हटा देंगे।

तो ऐसे मैं यदि मुख्यमंत्री किसी निर्दोष को फसाने का आदेश देता है तो SP सॉरी sir ,यह गलत है कहकर बात काट देगा।

क्योकि उसे पता है कि निर्दोष को फसाया तो जनता उसे नोकरी से निकाल देगी।

दूसरा कारण वह यह भी जानता है इस मामले की सुनवाई नागरिको की जूरी करेगी ,नागरिको की जूरी झूठे मुकदमे में फसाने के जुर्म में SP या उसके अधीनस्थ को सज़ा कर सकती हैं।

तो ऐसे में SP व उसका अधीनस्थ गलत आदेश को नहीं मानेंगे।
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वर्तमान में राजनीतिक शरण के कारण कई बड़े अपराधियों को पुलिस नहीं पकड़ती है क्योकि SP को मुख्यमंत्री के नाराज होने का भय होता हैं।

यदि नागरिको के पास SP को हटाने का अधिकार होता तो SP को पता होता कि यह बड़ा अपराधी है जिसकी पहचान अपराधी के रूप में है जिले के 2%नागरिक भी जानते है कि फलां व्यक्ति अपराधी है तो यह बात जल्द ही शेष नागरिको तक चली जायेगी और SP को वोटवापसी का इस्तेमाल करके हटा सकते है इसलिए SP नोकरी जाने के भय से ही बड़े राजनीतिक अपराधियों का सफाया कर देगा।
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इस प्रकार जुरीकोर्ट पुलिस को भ्रष्ट राजनेताओं के पंजे से छुड़वाकर जनता के अधीन कर देता हैं।
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