उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है, इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी ममता दीदी के राह पर चल पड़ी है , जी हां चुनाव से पहले सपा ने TMC के ‘खेला होबे’ के चुनावी स्लोगन को अपनाया है, लेकिन इसकी भाषा भोजपुरी कर दी गई है क्योंकि भोजपुरी भाषी लोगों का वोट जो हासिल करना है . दरअसल सपा नेता और पूर्व विधायक अब्दुल समद अंसारी ने अपने घर की दीवारों पर साईकिल का चित्र बनवाया है और उसके बगल में ‘खेला होई’ का स्लोगन लिखवाया है.

ये बात किसी भी सियासी पार्टी से छिपी नहीं है कि बंगाल में इस स्लोगन का इस्तेमाल ममता बनर्जी ने किस रूप में किया है. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान और चुनाव जीत जाने के बाद बंगाल में जो हिंसा की तस्वीर सामने आयी है , TMC के गुंडे सड़कों पर कत्लेआम कर रहे हैं क्या वो समाजवादी पार्टी के नेताओं को नहीं दिख रहा है ? इतना ही नहीं सपा नेता आरोप लगाया, ”जिस तरह दीदी और बंगाल की जनता ने भाजपा के साथ खिलवाड़ किया है, उसी तरह भोजपुरी समाज सत्ताधारी पार्टी के साथ खेलेगा.”

ये बात किसी से छिपी नहीं है कि दीदी का स्लोगन खेला होबे एक राजनीतिक घमासान में बदल गया . ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को बीजेपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए उकसाया , जिसका उदाहरण था चुनाव के दौरान  हिंसा . TMC के कथित गुंडों ने महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया . चुनाव के बाद हुई हिंसा में 40 से ज्यादा बीजेपी कार्यकर्ता मारे गए

जाहिर है ममता दीदी का ये स्लोगन कहीं से भी स्वस्थ लोकतंत्र की तस्वीर पेश नहीं करता . बंगाल में सत्ता पर बैठने के बाद TMC की नाक के नीचे जिस तरह से बंगाल में रक्तपात किया गया, हिंदुओं के घरों को आग के हवाले कर दिया गया, महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया ऐसा शायद ही कभी किसी प्रदेश में हुआ है और विपक्षी दल सब कुछ देखते हुए भी मौन बने रहे . ऐसे मेॆे ममता सरकार से सवाल पूछने के बजाए वो ममता दीदी के साथ चल रहे हैं, इसपर सवाल पूछना तो बनता है …

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