असल में “रेनू” सब हिंदी व्याकरण की एक प्रख्यात शब्द है जिसकी जड़ संस्कृत मूल की मानी जाती है इसका मतलब ईश्वर का उपहार होता है|

अब सवाल है बिहार के सुशासन युक्त विकासवाद की “रेनू” साबित होने का! क्योंकि करोड़ों रेनू की उम्मीद भरी दृष्टि की अंकुरे का नजर संस्कृत रूपी रेनू पर है जिन्हें स्वयं को साबित करना और विश्वास जीतना होगा|
एक तरफ लोकलुभावन नारे थे तो दूसरी तरफ विकासवाद का परखा हुआ संकल्प वाली दृष्टि का रोड मैप| करोड़ों रेनू ने परखा हुआ संकल्प वाली दृष्टि को स्वीकार किया जिसके परिणाम स्वरूप प्रथम स्तर की शुरुआत में अपेक्षा अनुसार विकासवादी रेनू में पंखों की कोपलें दिखाई देने लगी है जोकि शुभ संकेत के प्रतीक हैं अब देखना है कि यह विकासवाद की रेनू रूपी को अपने पंख में परिवर्तित होकर ऊंची उड़ान लगाती है कि नहीं!
वैसे तो मान्यता के अनुसार जिस मंदिर की नींव मजबूत हो उस मंदिर की उम्र बढ़ जाती है और उसमें ताजगी रूपी सकारात्मक चमक दिखाई देती है| अब देखना है कि विगत 15 वर्षों में विकासवाद की नींव कितनी मजबूत हुई और भविष्य में उसे से कितना ताजगी रूपी सकारात्मक चमक और महक जमीनी स्तर पर महसूस होती है| यह तो आने वाला भविष्य ही बताएगा!

वैसे उम्मीदें बहुत है जिसके कारण आकांक्षाओं की स्तर में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी होती जा रही है अब विकासवाद की रफ्तार को गति देना और अपना अपना लक्ष्य प्राप्त करना ही होगा,समग्र विकास बाद का सूत्र एक ऐसी दृष्टि है जो समाज और राजनीति संस्कार को अपने पुराने हिंसक और जातिवादी मनो दृष्टि से बचा कर रखेगाI
स्वास्थ्य राजनीति के लिए समग्र विकास वाद के आधार पर जनमानस को अपना प्रतिनिधि चुनकर लोकतंत्र को मजबूत करना चाहिए,इस प्रकार निश्चित तौर पर भविष्य में हमारी लोकतंत्र और भी मजबूत होगी|
धन्यवाद

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