भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में वामपंथी या साम्यवाद विचारधारा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए, अगर आप पूरे विश्व का इतिहास उठा कर देखिएगा तो यह पाइएगा कि विश्व के किसी भी देश में अगर जहां कहीं भी साम्यवाद या वामपंथी सरकार बनी है वहां तानाशाही ने अपनी जड़ जमा लि है, इसका उदाहरण आप चीन रूस और क्यूबा जैसे देशों में देख सकते हैं, वामपंथ का मूल्य ही तानाशाह में जुड़ा हुआ, इनका आचरण भिन्न देशों में आप भिन्न-भिन्न पा सकते हैं जिस प्रकार का देश होता है उसके ठीक विपरीत इनका आचरण होता हैं, अब बात करते हैं भारत जैसे महान लोकतांत्रिक देश के बारे में, भारत का इतिहास अगर आप उठा कर देखेंगे तो पाएंगे कि भारत सदैव से एक लिबरल देश रहा है जहां पर सभी जाति धर्म संप्रदाय के लोग बरसों से खुशियों के साथ रह रहे, यहां लोकतंत्र इतना मजबूत है कि जब भी कभी चुनाव होते हैं तो सत्ता हस्तांतरण काफी शांतिपूर्ण तरीके से हो जाती है ऐसा आप विश्व में विरले ही देख सकते हैं, चुकी भारत सब दिनों से पूरे विश्व को एक दिशा और दशा तय करता आया है इसी चिढ के कारण वामपंथियों ने भारत में कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया, जबकि वह जानते हैं कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है यहां पर तानाशाही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है फिर भी यहां की अस्मिता से खिलवाड़ करने के लिए वामपंथी दिखावे के लोकतंत्रिक होने का ढोंग रचते हैं जबकि सच्चाई यह है अगर किसी दिन वामपंथियों को सत्ता में आने का मौका लगेगा तो उनका पहला काम होगा तानाशाही से सरकार चलाना जनता के हितों का दमन करना इनका एक स्थिर विचारधारा नहीं है, मान लीजिए यह गरीबों के उत्थान की बात करते हैं और अगर वही गरीब अपने मेहनत से आगे बढ़ता है समाज में ऊंचा स्थान प्राप्त करता है फिर वह उसी गरीब के साथ राजनीति करने लगते हैं, यह हथियार के बल पर सत्ता प्राप्त करना चाहते हैं, लोकतांत्रिक मूल्यों में इनका कभी भी विश्वास नहीं रहा है, नक्सलवाद का जनक ही वामपंथ से हैं इनका मूल उद्देश्य केवल एक ही है कि भारत की शिक्षा व्यवस्था को किसी तरह से कमजोर करके लोगों को गलत इतिहास पढ़ा कर आप में हीन भावना भर कर देश को कमजोर करना ताकि चीन और रूस जैसे देश भारत पर अप्रत्यक्ष रूप से शासन कर सकें, यह कभी भी विपक्ष के उत्थान की बात नहीं कर सकते है, इसका उदाहरण आप केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में देख सकते हैं जहां पर यह जब कभी भी शासन में रहे हैं अपने विरोधी विचारधारा के कार्यकर्ताओं के साथ खून की राजनीति की है, चुकी बौद्धिक विकास वामपंथियों को हुआ था शुरुआत में ही इसलिए इतिहास लेखन में उन्होंने गलत तथ्य पेश कर भारत की बौद्धिक संपदा ओं को कमजोर किया है लेकिन सोशल मीडिया के इस दौर में वामपंथियों के साजिश का पर्दाफाश भी हुआ है और इसी कारण से भारत में वामपंथी विचारधारा लगभग मृतप्राय हो चुकी है और आने वाले समय में या खत्म हो जाना चाहिए, भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों में खूनी राजनीति करने वाले वामपंथी नक्सली विचारधारा का कोई अस्थान नहीं होना चाहिए, मैं तो भारत सरकार से मांग करता हूं कि भारत जैसे देशों में केवल जिनका विचार स्वदेशी हो जिनको भारत हित से प्यार हो जो केवल भारत की बात करें उन्हीं को राजनीति करने का अवसर प्रदान करना चाहिए कम्युनिस्ट विचारधारा को भारत ने प्रतिबंध लगाकर देश हित का कार्य करना चाहिए नहीं तो आने वाले समय में यह सारे वामपंथी विचारधारा मिलकर के देश की जड़ों को कमजोर करने का प्रयास करते रहेंगे और भारत में चीन और रूस के एजेंट की तरह कार्य करते रहेंगे इसलिए आज के युवाओं से ही मैं अनुरोध करता हूं जिन्हें हिंदी हिंदू हिंदुस्तान में विश्वास नहीं है जो केवल मारकाट की राजनीति करना जानते हैं जिनके विचार में ही तानाशाही है वैसे विचारधाराओं से दूर रहें जब तक भारत में वामपंथ खत्म नहीं होगा तब तक नक्सलवाद और आतंकवाद से हम निजात नहीं पा सकते हैं इसलिए मैं तमाम युवाओं से अनुरोध करता हूं कि वामपंथी विचारधारा से दूर रहें और भारत के नव निर्माण का जो महायज्ञ चल रहा है जिसका नेतृत्व भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं उससे जुड़ कर के स्वदेशी राष्ट्रवाद विकास और भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए अपना सहयोग करें|
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.
आलसी और सियारी प्रकृति वाले लोग हैं वामपन्थी ?