“सरकार को लग रहा है कि ये लोग, कुछ दिन में चले जाएंगे, लेकिन हम बता दें कि हम लाशों के ढेर लगाएंगे और अपना खून भी बहाएंगें” ये कहना है दिल्ली में किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे कांग्रेस के सांसद और बेअंत सिंह (पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री) के पोते रवनीत बिट्टू सिंह का। जी, वही बेअंत सिंह जिनकी हत्या खालिस्तानियों ने की थी और आज उन्हीं का पोता इस तरह की ज़हरीली बयानबाजी कर रहा है।

रवनीत बिट्टू सिंह ने तथाकथित ‘किसान विरोध’ की प्रकृति को बदलने के लिए अपनी भाषा में हिंसा की खुली धमकी दी। आगे उन्होंने कहा कि “हम खून बहाएंगे और अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, हम किसी भी हद तक जा सकते हैं।”

आपको बता दें कि, रवनीत बिट्टू सिंह लुधियाना से संसद के सदस्य हैं। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर 2009, 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव जीता था।

न्यूज नेशन से बात करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा, “वे (सरकार) सोचते हैं कि हम कुछ समय बाद थक जाएंगे और अपने धरने पर बैठ जाएंगे। लेकिन नहीं! हम लाशों के ढेर लगा देंगे।” साथ ही कांग्रेस प्रायोजित हिंसा की संभावना पर इशारा करते हुए, रवनीत बिट्टू सिंह ने कहा, “हम एक नई योजना के साथ आ रहे हैं और आप इसे 1 जनवरी के बाद की कार्रवाई में देखेंगे।” यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि भाजपा ने कांग्रेस पर किसानों को गुमराह करने और ऐतिहासिक कानूनों के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों को भड़काने का आरोप लगाया था।

खालिस्तानी समर्थकों का अड्डा बनता जा रहा है किसान प्रदर्शन

कुछ दिनों पहले, प्रदर्शनकारियों ने किसान विरोध में खालिस्तानी आतंकवादी जगतार सिंह के पोस्टर का इस्तेमाल किया था। लोकप्रिय सत्यापित उपयोगकर्ता अंशुल सक्सेना के एक ट्वीट के अनुसार, बब्बर खालसा के आतंकवादी जगतार सिंह हवारा का पोस्टर (पंजाब के 12 वें मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के पीछे का मास्टरमाइंड) सिंघू सीमा स्थल पर प्रदर्शित किया गया है।

राहुल गांधी के है करीबी

रवनीत बिट्टू सिंह, जो कांग्रेस के सांसद हैं, पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और यहां तक ​​कि राहुल गांधी के भी करीबी माने जाते हैं। 15 मई 2019 को, जैसे ही लोकसभा चुनाव प्रचार अपने अंतिम चरण में पहुंचा, राहुल गांधी ने लुधियाना में ट्रैक्टर चलाने की कोशिश में एक पब्लिसिटी स्टंट किया था।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, लुधियाना के सांसद रवनीत बिट्टू भी उनके साथ बैठे नजर आए थे।ऐसे में यह पता लगाना कोई मुश्किल काम नहीं है कि इन शब्दों के पीछे किसका हाथ है।

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